Heart Broken Poetry (page 202)
दिल का मोआ'मला वही महशर वही रहा
बलराज कोमल
बारिशों में ग़ुस्ल करते सब्ज़ पेड़
बलराज कोमल
सदियों का कर्ब लम्हों के दिल में बसा दिया
बलराज हयात
दिल के हाथों ख़राब हो जाना
बलराज हयात
चुटकियाँ लेती है गोयाई किसे आवाज़ दूँ
बलराज हयात
कहीं भी ज़िंदगी अपनी गुज़ार सकता था
लराज बख़्शी
कहाँ से मंज़र समेट लाए नज़र कहाँ से उधार माँगे
लराज बख़्शी
वही आँसू वही माज़ी के क़िस्से
बकुल देव
उतर जाता तो रुस्वाई बहुत होती
बकुल देव
मिले अब के तो रोए टूट कर हम
बकुल देव
ख़्वाब नद्दी सा गुज़र जाएगा
बकुल देव
हम जो टूटे हैं बता हार भला किस की हुई
बकुल देव
ये किस की याद का दिल पर रफ़ू था
बकुल देव
यकायक अक्स धुँदलाने लगे हैं
बकुल देव
तिरा लहज़ा वही तलवार जैसा था
बकुल देव
समाअ'त के लिए इक इम्तिहाँ है
बकुल देव
मिरे कुछ भी कहे को काटता है
बकुल देव
कौन कहता है ठहर जाना है
बकुल देव
जान ले ले न ज़ब्त-ए-आह कहीं
बकुल देव
हुए हम बे-सर-ओ-सामान लेकिन
बकुल देव
हमें देखा न कर उड़ती नज़र से
बकुल देव
हादसात अब के सफ़र में नए ढब से आए
बकुल देव
गो ज़रा तेज़ शुआएँ थीं ज़रा मंद थे हम
बकुल देव
दिल से बे-सूद और जाँ से ख़राब
बकुल देव
बारिशों में अब के याद आए बहुत
बकुल देव
अब उजड़ने के हम न बसने के
बकुल देव
वही पत्थर लगा है मेरे सर पर
बख़्श लाइलपूरी
घर भी वीराना लगे ताज़ा हवाओं के बग़ैर
बख़्श लाइलपूरी
दर्द-ए-हिजरत के सताए हुए लोगों को कहीं
बख़्श लाइलपूरी
उसी के ज़ुल्म से मैं हालत-ए-पनाह में था
बख़्श लाइलपूरी