मिरा ख़ुश-ख़िराम बला का तेज़-ख़िराम था
मिरी ज़िंदगी से चला गया तो ख़बर हुई
Faiz Ahmad Faiz
Ahmad Faraz
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Rahat Indori
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Wasi Shah
Mir Taqi Mir
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मिट्टी की गवाही से बड़ी दिल की गवाही
ये बस्ती जानी पहचानी बहुत है
तमाशा करने वालों को ख़बर दी जा चुकी है
हमें तो अपने समुंदर की रेत काफ़ी है
मआल-ए-इज़्ज़त-ए-सादात-ए-इश्क़ देख के हम
हमें भी आफ़ियत-ए-जाँ का है ख़याल बहुत
हुआ है यूँ भी कि इक उम्र अपने घर न गए
बारहवाँ खिलाड़ी
कहानी में नए किरदार शामिल हो गए हैं
ग़म-ए-जहाँ को शर्मसार करने वाले क्या हुए
दिल उन के साथ मगर तेग़ और शख़्स के साथ
एक रुख़