ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
बरसात है दिल डस रहा है पानी
बाग़ों पे छा गई है जवानी साक़ी
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
मेरे कमरे की छत पे है उस बुत का मकान
ज़ब्त-ए-गिर्या
मुबहम पयाम
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
जीना है तो जीने की मोहब्बत में मरो