बाक़ी नहीं एक शुऊर रखने वाला
मुबहम पयाम
साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
थे पहले खिलौनों की तलब में बेताब
पुर-हौल-शिकम अरीज़ सीने वालो
दिल रस्म के साँचे में न ढाला हम ने
बे-नग़्मा है ऐ 'जोश' हमारा दरबार
ग़ुंचे तेरी ज़िंदगी पे दिल हिलता है
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी
बरसात है दिल डस रहा है पानी