Rubaais of Ahmad Husain Mail

Rubaais of Ahmad Husain Mail
नामअहमद हुसैन माइल
अंग्रेज़ी नामAhmad Husain Mail

ये मुझ से न पूछ तू ने क्या क्या देखा

यारब मिरे दिल में है उजाला तेरा

साबित है तन में बादशाही दिल की

पीरी में शबाब की निशानी न मली

पैदल न मुझे रोज़-ए-शुमार उन से दे

नक़्शा लैल-ओ-नहार का खींचा है

माना वाइ'ज़ बड़ा ही अल्लामा है

मैं सर पे गुनाहों का लिए बार आया

मैं अपने कफ़न का सीने वाला निकला

कुछ लुत्फ़-ए-सुख़न वक़्त-ए-मुलाक़ात नहीं

कहते हैं कि रौनक़-ए-जमाली हूँ मैं

इक़रार नगर को गदाई का है

हमराह अदम से इज़्तिराब आया है

है सू-ए-फ़लक नज़र तमाशा क्या है

है अर्श भी यक फ़र्श क़दम का तेरे

ग़फ़लत के तुख़्म बोने वाले उठे

अश्क आए ग़म-ए-शह से जो चश्म-ए-तर में

अल्लाह मताअ-ए-ज़िंदगानी मिल जाए

अफ़्ज़ूँ जो शबाब दम-ब-दम होता है

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