शह कहते थे अफ़्सोस न कहना माने
अब्बास को वो घेर लिया आदा ने
ऐ कूफ़ियो ये दस्त-दराज़ी हैहात
बिल्लाह कि यदुल्लाह के काटे शाने
Anwar Masood
Parveen Shakir
Rahat Indori
Allama Iqbal
Mir Taqi Mir
Gulzar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Wasi Shah
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(715) Peoples Rate This
गली से अपनी इरादा न कर उठाने का
वो ज़िक्र था तुम्हारा जो इंतिहा से गुज़रा
जी है ये बिन लगे नहीं रहता
पी भी ऐ माया-ए-शबाब शराब
ग़ैरों को शब-ए-वस्ल बुलाने से ग़रज़
ख़ुद देख ख़ुदी को ओ ख़ुद-आरा
है दोस्ती-ए-आल-ए-अबा रोने से
दीं ही बेहोश है न दुनिया बेहोश
वो संग-दिल अंगुश्त-ब-दंदाँ नज़र आवे
फ़िक्र-ए-सितम में आप भी पाबंद हो गए
किस तरह से गिर्या को न हो तुग़्यानी
थक थक गए हैं आशिक़ दरमांदा-ए-फ़ुग़ाँ हो