Hope Poetry (page 101)
मैं यार का जल्वा हूँ
बेदम शाह वारसी
क्या गिला इस का जो मेरा दिल गया
बेदम शाह वारसी
कुछ लगी दिल की बुझा लूँ तो चले जाइएगा
बेदम शाह वारसी
काश मिरी जबीन-ए-शौक़ सज्दों से सरफ़राज़ हो
बेदम शाह वारसी
कभी यहाँ लिए हुए कभी वहाँ लिए हुए
बेदम शाह वारसी
काबे का शौक़ है न सनम-ख़ाना चाहिए
बेदम शाह वारसी
जुस्तुजू करते ही करते खो गया
बेदम शाह वारसी
इश्क़ के आसार हैं फिर ग़श मुझे आया देखो
बेदम शाह वारसी
हम मय-कदे से मर के भी बाहर न जाएँगे
बेदम शाह वारसी
गुल का किया जो चाक गरेबाँ बहार ने
बेदम शाह वारसी
ग़म्ज़ा पैकान हुआ जाता है
बेदम शाह वारसी
बताए देती है बे-पूछे राज़ सब दिल के
बेदम शाह वारसी
बरहमन मुझ को बनाना न मुसलमाँ करना
बेदम शाह वारसी
अपने दीदार की हसरत में तू मुझ को सरापा दिल कर दे
बेदम शाह वारसी
अगर काबा का रुख़ भी जानिब-ए-मय-ख़ाना हो जाए
बेदम शाह वारसी
रक़्क़ासा-ए-औहाम
बेबाक भोजपुरी
नक़्श बर-दीवार
बेबाक भोजपुरी
ख़ंजर तलाश करता है
बेबाक भोजपुरी
रौनक़ फ़रोग़-ए-दर्द से कुछ अंजुमन में है
बेबाक भोजपुरी
राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का
बेबाक भोजपुरी
जिगर-गुदाज़ मआ'नी समझ सको तो कहूँ
बेबाक भोजपुरी
ग़म-ए-आफ़ाक़ में आरिफ़ अगर करवट बदलता है
बेबाक भोजपुरी
फ़स्ल-ए-बहार जाने ये क्या गुल कतर गई
बेबाक भोजपुरी
बख़्त क्या जाने भला या कि बुरा होता है
बेबाक भोजपुरी
झोंके आते हैं बू-ए-उल्फ़त के
बयान यज़दानी
ये मैं कहूँगा फ़लक पे जा कर ज़मीं से आया हूँ तंग आ कर
बयान मेरठी
वो दरिया-बार अश्कों की झड़ी है
बयान मेरठी
सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ
बयान मेरठी
सर-ए-शोरीदा पा-ए-दश्त-ए-पैमा शाम-ए-हिज्राँ था
बयान मेरठी
मिस्ल-ए-हुबाब-ए-बहर न इतना उछल के चल
बयान मेरठी