Islamic Poetry (page 10)
उस ना-ख़ुदा के ज़ुल्म ओ सितम हाए क्या करूँ
हसरत मोहानी
दिलों को फ़िक्र-ए-दो-आलम से कर दिया आज़ाद
हसरत मोहानी
अल्लाह-री जिस्म-ए-यार की ख़ूबी कि ख़ुद-ब-ख़ुद
हसरत मोहानी
रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमाम
हसरत मोहानी
पैहम दिया प्याला-ए-मय बरमला दिया
हसरत मोहानी
निगाह-ए-यार जिसे आश्ना-ए-राज़ करे
हसरत मोहानी
दुआ में ज़िक्र क्यूँ हो मुद्दआ का
हसरत मोहानी
आसान-ए-हक़ीकी है न कुछ सहल-ए-मजाज़ी
हसरत मोहानी
नज़र उस पर फ़िदा है जिस की ताबानी नहीं जाती
हसरत कमाली
ख़ुदा जाने किस किस की ये जान लेगी
हसरत जयपुरी
ये कौन आ गई दिल-रुबा महकी महकी
हसरत जयपुरी
उस ज़ुल्फ़ से दिल हो कर आज़ाद बहुत रोया
हसरत अज़ीमाबादी
साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश
हसरत अज़ीमाबादी
फिरी सी देखता हूँ इस चमन की कुछ हवा बुलबुल
हसरत अज़ीमाबादी
जिस का मयस्सर न था भर के नज़र देखना
हसरत अज़ीमाबादी
इश्क़ में गुल के जो नालाँ बुलबुल-ए-ग़मनाक है
हसरत अज़ीमाबादी
इन दोनों घर का ख़ाना-ख़ुदा कौन ग़ैर है
हसरत अज़ीमाबादी
है रश्क-ए-वस्ल से ग़म-ए-दिलदार ही भला
हसरत अज़ीमाबादी
बे-वफ़ा गो मिले न तू मुझ को
हसरत अज़ीमाबादी
तिरे ख़याल तिरी आरज़ू से दूर रहे
हाशिम रज़ा जलालपुरी
दिल-मोहल्ला ग़ुलाम हो जाए
हाशिम रज़ा जलालपुरी
तू एक साल में इक साँस भी न जी पाया
हसीब सोज़
वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया
हसीब सोज़
किसे हम अपना कहें कोई ग़म-गुसार नहीं
हसीब रहबर
सूखे हुए दरख़्त के पत्तों को देखना
हसन निज़ामी
वो कज-निगाह न वो कज-शिआ'र है तन्हा
हसन नईम
सुब्ह-ए-तरब तो मस्त-ओ-ग़ज़ल-ख़्वाँ गुज़र गई
हसन नईम
रश्क अपनों को यही है हम ने जो चाहा मिला
हसन नईम
लुत्फ़-ए-आग़ाज़ मिला लज़्ज़त-ए-अंजाम के बा'द
हसन नईम
बसर हो यूँ कि हर इक दर्द हादिसा न लगे
हसन नईम