Islamic Poetry (page 8)
'माजिद' ख़ुदा के वास्ते कुछ देर के लिए
हुसैन माजिद
तूफ़ाँ कोई नज़र में न दरिया उबाल पर
हुसैन माजिद
मैदान
हुसैन आबिद
ज़मीं का दम निकलता जा रहा है
हुसैन आबिद
ज़मीं का दम निकलता जा रहा है
हुसैन आबिद
राहत ओ रंज से जुदा हो कर
हुसैन आबिद
वो आलम है कि हर मौज-ए-नफ़स है रूह पर भारी
हुरमतुल इकराम
मिलता नहीं मिज़ाज ख़ुद अपनी अदा में है
होश तिर्मिज़ी
कोई भी शख़्स जो वहम-ओ-गुमाँ की ज़द में रहा
हीरानंद सोज़
कहीं पे माल-ओ-दुनिया की ख़रीदार की बातें हैं
हिना हैदर
फिर मिरी आस बढ़ा कर मुझे मायूस न कर
हिमायत अली शाएर
ईमाँ भी लाज रख न सका मेरे झूट की
हिमायत अली शाएर
तज़ाद
हिमायत अली शाएर
बगूला
हिमायत अली शाएर
ये बात तो नहीं है कि मैं कम स्वाद था
हिमायत अली शाएर
मैं जो कुछ सोचता हूँ अब तुम्हें भी सोचना होगा
हिमायत अली शाएर
जो कुछ भी गुज़रता है मिरे दिल पे गुज़र जाए
हिमायत अली शाएर
दस्तक हवा ने दी है ज़रा ग़ौर से सुनो
हिमायत अली शाएर
हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला
हिलाल फ़रीद
हम ख़ुद भी हुए नादिम जब हर्फ़-ए-दुआ निकला
हिलाल फ़रीद
मुझे वो याद करते हैं ये कह कर
हिज्र नाज़िम अली ख़ान
सितम तीर-ए-निगाह-ए-दिलरुबा था
हिज्र नाज़िम अली ख़ान
याद इतना है मिरे लब पे फ़ुग़ाँ आई थी
हीरा लाल फ़लक देहलवी
देखूँगा किस क़दर तिरी रहमत में जोश है
हीरा लाल फ़लक देहलवी
ज़माना देखता है हंस के चश्म-ए-ख़ूँ-फ़िशाँ मेरी
हीरा लाल फ़लक देहलवी
सुकून-ए-दिल के लिए और क़रार-ए-जाँ के लिए
हीरा लाल फ़लक देहलवी
रंग-आमेज़ी से पैदा कुछ असर ऐसा हुआ
हीरा लाल फ़लक देहलवी
हो ख़ुदा का करम इरादों पर
हीरा लाल फ़लक देहलवी
दिल शादमाँ हो ख़ुल्द की भी आरज़ू न हो
हीरा लाल फ़लक देहलवी
आह-ए-ज़िंदाँ में जो की चर्ख़ पे आवाज़ गई
हीरा लाल फ़लक देहलवी