Social Poetry (page 2)
क़ुर्बान जाऊँ हुस्न-ए-क़मर इंतिसाब के
इफ़तिख़ार अहमद फख्र
गुल-ए-सुख़न से अँधेरों में ताब-कारी कर
इदरीस बाबर
ये तकल्लुफ़ ये मुदारात समझ में आए
इबरत मछलीशहरी
ये और बात है कि बरहना थी ज़िंदगी
इब्राहीम अश्क
मैं कब रहीन-ए-रेग-ए-बयाबान-ए-यास था
इब्राहीम अश्क
ये कारोबार भी कब रास आया
इब्न-ए-मुफ़्ती
ग़लत-फ़हमी की सरहद पार कर के
इब्न-ए-मुफ़्ती
अर्श के तारे तोड़ के लाएँ काविश लोग हज़ार करें
इब्न-ए-इंशा
एक दुनिया कह रही है कौन किस का आश्ना
हुरमतुल इकराम
हारून की आवाज़
हिमायत अली शाएर
वारिद कोह-ए-बयाबाँ जब में दीवाना हुआ
हातिम अली मेहर
गुल-बाँग थी गुलों की हमारा तराना था
हातिम अली मेहर
दिल में जो मोहब्बत की रौशनी नहीं होती
हस्तीमल हस्ती
निगाह-ए-यार जिसे आश्ना-ए-राज़ करे
हसरत मोहानी
क्या काम उन्हें पुर्सिश-ए-अरबाब-ए-वफ़ा से
हसरत मोहानी
वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया
हसीब सोज़
वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया
हसीब सोज़
कोई मौसम भी हम को रास नहीं
हसन रिज़वी
उसी ख़ुश-नवा में हैं सब हुनर मुझे पहले था न क़यास भी
हसन नईम
माल-ओ-मता-ए-दश्त सराबों को दे दिया
हसन नईम
किसी हबीब ने लफ़्ज़ों का हार भेजा है
हसन नईम
ख़याल-ओ-ख़्वाब में कब तक ये गुफ़्तुगू होगी
हसन नईम
करें न याद वो शब हादिसा हुआ सो हुआ
हसन नईम
करें न याद शब-ए-हादिसा हुआ सो हुआ
हसन नईम
जंगलों की ये मुहिम है रख़्त-ए-जाँ कोई नहीं
हसन नईम
बसर हो यूँ कि हर इक दर्द हादिसा न लगे
हसन नईम
अहल-ए-हवस के हाथों न ये कारोबार हो
हसन नज्मी सिकन्दरपुरी
न आरज़ुओं का चाँद चमका न क़ुर्बतों के गुलाब महके
हसन अब्बास रज़ा
कुछ अजीब आलम है होश है न मस्ती है
हसन आबिद
सैर-ए-दुनिया से ग़रज़ थी महव-ए-दुनिया कर दिया
हरी चंद अख़्तर