Coupletss of Muneer Niyazi (page 4)

Coupletss of Muneer Niyazi (page 4)
नाममुनीर नियाज़ी
अंग्रेज़ी नामMuneer Niyazi
जन्म की तारीख1923
मौत की तिथि2006
जन्म स्थानLahore

एक दश्त-ए-ला-मकाँ फैला है मेरे हर तरफ़

इक और दरिया का सामना था 'मुनीर' मुझ को

दिन भर जो सूरज के डर से गलियों में छुप रहते हैं

दिल की ख़लिश तो साथ रहेगी तमाम उम्र

दिल अजब मुश्किल में है अब अस्ल रस्ते की तरफ़

देखे हुए से लगते हैं रस्ते मकाँ मकीं

दश्त-ए-बाराँ की हवा से फिर हरा सा हो गया

डर के किसी से छुप जाता है जैसे साँप ख़ज़ाने में

चाँद चढ़ता देखना बेहद समुंदर पर 'मुनीर'

चमक ज़र की उसे आख़िर मकान-ए-ख़ाक में लाई

चाहता हूँ मैं 'मुनीर' इस उम्र के अंजाम पर

बेचैन बहुत फिरना घबराए हुए रहना

बैठ कर मैं लिख गया हूँ दर्द-ए-दिल का माजरा

बहुत ही सुस्त था मंज़र लहू के रंग लाने का

बड़ी मुश्किल से ये जाना कि हिज्र-ए-यार में रहना

अपनी ही तेग़-ए-अदा से आप घायल हो गया

अपने घरों से दूर बनों में फिरते हुए आवारा लोगो

ऐसा सफ़र है जिस की कोई इंतिहा नहीं

अच्छी मिसाल बनतीं ज़ाहिर अगर वो होतीं

अब किसी में अगले वक़्तों की वफ़ा बाक़ी नहीं

अब कौन मुंतज़िर है हमारे लिए वहाँ

आवाज़ दे के देख लो शायद वो मिल ही जाए

आँखों में उड़ रही है लुटी महफ़िलों की धूल

आदत ही बना ली है तुम ने तो 'मुनीर' अपनी

आ गई याद शाम ढलते ही

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