Sad Poetry (page 191)
हम ने आप के ग़म को हम-सफ़र बनाया है
बदर जमाली
हिज्र में जो अश्क-ए-चश्म-ए-तर गिरा
बदर जमाली
अपने चेहरे पर कई चेहरे लिए
बदर जमाली
दास्तान-ए-ग़म तुझे बतलाएँ क्या
बाबर रहमान शाह
फिर किसी शख़्स की याद आई है
बीएस जैन जौहर
नग़्मे तड़प रहे हैं दिल-ए-बे-क़रार में
बीएस जैन जौहर
मेरी हर बात पे बे-बात ख़फ़ा होते हो
बीएस जैन जौहर
मेरी हर बात पे बे-बात ख़फ़ा होते हो
बीएस जैन जौहर
कैफ़ियत-ए-दिल-ए-हज़ीं हम से नहीं बयाँ हुई
बीएस जैन जौहर
जाने फिर तुम से मुलाक़ात कभी हो कि न हो
बीएस जैन जौहर
जाने फिर तुम से मुलाक़ात कभी हो कि न हो
बीएस जैन जौहर
घटा सावन की उमडी आ रही है
बीएस जैन जौहर
घटा सावन की उमडी आ रही है
बीएस जैन जौहर
इक हूक सी जब दिल में उट्ठी जज़्बात हमारे आ पहुँचे
बीएस जैन जौहर
कुछ नहीं होता शब भर सोचों का सरमाया होता है
अज़रक़ अदीम
तारीक उजालों में बे-ख़्वाब नहीं रहना
अज़रा वहीद
जलती बुझती हुई आँखों में सितारे लिक्खे
अज़रा वहीद
हवा के लब पे नए इंतिसाब से कुछ हैं
अज़रा वहीद
गिरे क़तरों में पत्थर पर सदा ऐसा भी होता है
अज़रा वहीद
ग़ुबार-ए-जाँ पस-ए-दीवार-ओ-दर समेटा है
अज़रा वहीद
फ़ज़ा का रंग निखरता दिखाई देता है
अज़रा वहीद
ज़मीं के और तक़ाज़े फ़लक कुछ और कहे
अज़रा परवीन
सिमट गई तो शबनम फूल सितारा थी
अज़रा परवीन
बहर-ए-चराग़ ख़ुद को जलाने वाली मैं
अज़रा परवीन
अब अपनी चीख़ भी क्या अपनी बे ज़बानी क्या
अज़रा परवीन
अब आँख भी मश्शाक़ हुई ज़ेर-ओ-ज़बर की
अज़रा परवीन
उन्हें मुझ से शिकायत है
अज़रा नक़वी
हार-सिंगार
अज़रा नक़वी
कैसे कैसे स्वाँग रचाए हम ने दुनिया-दारी में
अज़रा नक़वी
ये बोसे
अज़रा अब्बास