Sad Poetry (page 193)
मुझे कल अचानक ख़याल आ गया आसमाँ खो न जाए
अज़्म बहज़ाद
मैं ने चुप के अंधेरे में ख़ुद को रखा इक फ़ज़ा के लिए
अज़्म बहज़ाद
मैं उम्र के रस्ते में चुप-चाप बिखर जाता
अज़्म बहज़ाद
कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में
अज़्म बहज़ाद
खुलता नहीं कि हम में ख़िज़ाँ-दीदा कौन है
अज़्म बहज़ाद
कहीं गोयाई के हाथों समाअत रो रही है
अज़्म बहज़ाद
जो यहाँ हाज़िर है वो मिस्ल-ए-गुमाँ मौजूद है
अज़्म बहज़ाद
जो बात शर्त-ए-विसाल ठहरी वही है अब वज्ह-ए-बद-गुमानी
अज़्म बहज़ाद
बे-हद ग़म हैं जिन में अव्वल उम्र गुज़र जाने का ग़म
अज़्म बहज़ाद
बहुत क़रीने की ज़िंदगी थी अजब क़यामत में आ बसा हूँ
अज़्म बहज़ाद
तू आ गया है तो अब याद भी नहीं मुझ को
अज़लान शाह
ज़रा सी देर में कश्कोल भरने वाला था
अज़लान शाह
ये ख़ज़ाने का कोई साँप बना होता है
अज़लान शाह
माँगना ख़्वाहिश-ए-दीदार से आगे क्या है
अज़लान शाह
ये बात सच है कि मरना सभी को है लेकिन
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
शहर हो दश्त-ए-तमन्ना हो कि दरिया का सफ़र
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
यादों का जज़ीरा शब-ए-तन्हाई में
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
तेरी यादें हैं जिन्हें दिल में बसा रक्खा है
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
कमाल ये है कि दुनिया को कुछ पता न लगे
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
जहान-ए-फ़िक्र-ओ-नज़र का सबात ले के गया
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
अजीब कैफ़ियत आख़िर तलक रही दिल की
अज़ीज़ुर्रहमान शहीद फ़तेहपुरी
ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँ
अज़ीज़ वारसी
ग़म-ए-उक़्बा ग़म-ए-दौराँ ग़म-ए-हस्ती की क़सम
अज़ीज़ वारसी
इक वक़्त था कि दिल को सुकूँ की तलाश थी
अज़ीज़ वारसी
ये हम पर लुत्फ़ कैसा ये करम क्या
अज़ीज़ वारसी
तिरी महफ़िल में फ़र्क़-ए-कुफ़्र-ओ-ईमाँ कौन देखेगा
अज़ीज़ वारसी
सोज़िश-ए-ग़म के सिवा काहिश-ए-फ़ुर्क़त के सिवा
अज़ीज़ वारसी
शीशा लब से जुदा नहीं होता
अज़ीज़ वारसी
ख़ुशी महसूस करता हूँ न ग़म महसूस करता हूँ
अज़ीज़ वारसी
जहाँ में हम जिसे भी प्यार के क़ाबिल समझते हैं
अज़ीज़ वारसी