Sad Poetry (page 7)
ग़म-ए-ज़माना जब न हो ग़म-ए-वजूद ढूँड लूँ
तनवीर अंजुम
दुखों के रूप बहुत और सुखों के ख़्वाब बहुत
तनवीर अंजुम
सफ़र और क़ैद में अब की दफ़अ' क्या हुआ
तनवीर अंजुम
रात के पड़ाव पर
तनवीर अंजुम
ख़ार चुनते हुए
तनवीर अंजुम
इंतिज़ार
तनवीर अंजुम
चार साल बा'द
तनवीर अंजुम
बे-रहम शायरों के जुर्म
तनवीर अंजुम
अन-देखी लहरें
तनवीर अंजुम
अदम कथा
तनवीर अंजुम
आज़ादी से नींदों तक
तनवीर अंजुम
आशाएँ
तनवीर अंजुम
तरीक़ कोई न आया मुझे ज़माने का
तनवीर अंजुम
शहरों के सारे जंगल गुंजान हो गए हैं
तनवीर अंजुम
लम्हा-ए-इमकान को पहलू बदलते देखना
तनवीर अंजुम
किस तरह उस को बुलाऊँ ख़ाना-ए-बर्बाद में
तनवीर अंजुम
कभी वो मिस्ल-ए-गुल मुझे मिसाल-ए-ख़ार चाहिए
तनवीर अंजुम
कभी बहुत है कभी ध्यान तेरा कुछ कम है
तनवीर अंजुम
जचती नहीं कुछ शाही-ओ-इम्लाक नज़र में
तनवीर अंजुम
इज़्हार-ए-जुनूँ बर-सर-ए-बाज़ार हुआ है
तनवीर अंजुम
दुखों के रूप बहुत और सुखों के ख़्वाब बहुत
तनवीर अंजुम
बस्तियाँ तो आसमाँ ले जाएँगे
तनवीर अंजुम
कहाँ न-जाने चला गया इंतिज़ार कर के
इरफ़ान सत्तार
कभी किसी से न हम ने कोई गिला रक्खा
इरफ़ान सत्तार
जो बे-रुख़ी का रंग बहुत तेज़ मुझ में है
इरफ़ान सत्तार
इधर कुछ दिन से दिल की बेकली कम हो गई है
इरफ़ान सत्तार
हर एक शक्ल में सूरत नई मलाल की है
इरफ़ान सत्तार
हमें नहीं आते ये कर्तब नए ज़माने वाले
इरफ़ान सत्तार
ग़मों में कुछ कमी या कुछ इज़ाफ़ा कर रहे हैं
इरफ़ान सत्तार
इक ख़्वाब नींद का था सबब, जो नहीं रहा
इरफ़ान सत्तार