साहिल, शबनम, नसीम, मैदान-ए-तुयूर
इंसान की तबाहियों से क्यूँ हिले दिल-गीर
बरसात है दिल डस रहा है पानी
अफ़्सोस शराब पी रहा हूँ तन्हा
हर इल्म ओ यक़ीं है इक गुमाँ ऐ साक़ी
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा नफ़्स को अपने पहचान
बंदे क्या चाहता है दाम-ओ-दीनार
नागिन बन कर मुझे न डसना बादल
ऐ रौनक़-ए-लाला-ज़ार वापस आ जा
वो आएँ तो होगी तमन्नाओं की ईद
औरों को बताऊँ क्या मैं घातें अपनी
दिल की जानिब रुजूअ होता हूँ मैं