Ghazals of Mohammad Alvi (page 3)
नाम | मोहम्मद अल्वी |
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अंग्रेज़ी नाम | Mohammad Alvi |
जन्म की तारीख | 1927 |
मौत की तिथि | 2018 |
जन्म स्थान | Ahmadabad |
गिरह में रिश्वत का माल रखिए
घर से बाहर किस बला का शोर था
घर ने अपना होश सँभाला दिन निकला
इक लड़का था इक लड़की थी
दुख का एहसास न मारा जाए
दिन में परियाँ क्यूँ आती हैं
दिन इक के बा'द एक गुज़रते हुए भी देख
दिन भर के दहकते हुए सूरज से लड़ा हूँ
धूप ने गुज़ारिश की
धूप में सब रंग गहरे हो गए
दवा कोई क्या काम लिखूँ
चाँद की कगर रौशन
चाक कर लो अगर गिरेबाँ है
बिना मुर्ग़े के पर झटकती हैं
बरसों घिसा-पिटा हुआ दरवाज़ा छोड़ कर
और कोई चारा न था और कोई सूरत न थी
और बाज़ार से क्या ले जाऊँ
ऐसा हुआ नहीं है पर ऐसा न हो कहीं
अच्छे दिन कब आएँगे
अचानक तिरी याद का सिलसिला
अभी तो और भी दिन बारिशों के आने थे
अब के बरसात में पानी आए
आया है एक शख़्स अजब आन-बान का
आँख में दहशत न थी हाथ में ख़ंजर न था
आग पानी से डरता हुआ मैं ही था