Coupletss of Parveen Shakir (page 2)

Coupletss of Parveen Shakir (page 2)
नामपरवीन शाकिर
अंग्रेज़ी नामParveen Shakir
जन्म की तारीख1952
मौत की तिथि1994
जन्म स्थानKarachi

रफ़ाक़तों के नए ख़्वाब ख़ुशनुमा हैं मगर

रफ़ाक़तों का मिरी उस को ध्यान कितना था

राय पहले से बना ली तू ने

रात के शायद एक बजे हैं

क़दमों में भी तकान थी घर भी क़रीब था

पास जब तक वो रहे दर्द थमा रहता है

पा-ब-गिल सब हैं रिहाई की करे तदबीर कौन

नहीं नहीं ये ख़बर दुश्मनों ने दी होगी

न जाने कौन सा आसेब दिल में बस्ता है

मुमकिना फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी था

मेरी तलब था एक शख़्स वो जो नहीं मिला तो फिर

मेरी चादर तो छिनी थी शाम की तन्हाई में

मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गईं

मसअला जब भी चराग़ों का उठा

मक़्तल-ए-वक़्त में ख़ामोश गवाही की तरह

मैं उस की दस्तरस में हूँ मगर वो

मैं सच कहूँगी मगर फिर भी हार जाऊँगी

मैं फूल चुनती रही और मुझे ख़बर न हुई

लड़कियों के दुख अजब होते हैं सुख उस से अजीब

कुछ तो तिरे मौसम ही मुझे रास कम आए

कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तिरा ख़याल भी

कुछ फ़ैसला तो हो कि किधर जाना चाहिए

कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की

किसी के ध्यान में डूबा हुआ दिल

ख़ुद अपने से मिलने का तो यारा न था मुझ में

कौन जाने कि नए साल में तू किस को पढ़े

कौन जाने कि नए साल में तू किस को पढ़े

काँटों में घिरे फूल को चूम आएगी लेकिन

काँप उठती हूँ मैं ये सोच के तन्हाई में

कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी

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