Coupletss of Parveen Shakir (page 3)

Coupletss of Parveen Shakir (page 3)
नामपरवीन शाकिर
अंग्रेज़ी नामParveen Shakir
जन्म की तारीख1952
मौत की तिथि1994
जन्म स्थानKarachi

कल रात जो ईंधन के लिए कट के गिरा है

कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने

कभी कभार उसे देख लें कहीं मिल लें

जुस्तुजू खोए हुओं की उम्र भर करते रहे

जुगनू को दिन के वक़्त परखने की ज़िद करें

जिस तरह ख़्वाब मिरे हो गए रेज़ा रेज़ा

जिस जा मकीन बनने के देखे थे मैं ने ख़्वाब

इतने घने बादल के पीछे

इसी तरह से अगर चाहता रहा पैहम

हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ

हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ

हुस्न के समझने को उम्र चाहिए जानाँ

हम तो समझे थे कि इक ज़ख़्म है भर जाएगा

हथेलियों की दुआ फूल बन के आई हो

हाथ मेरे भूल बैठे दस्तकें देने का फ़न

हारने में इक अना की बात थी

गुलाबी पाँव मिरे चम्पई बनाने को

घर आप ही जगमगा उठेगा

ग़ैर-मुमकिन है तिरे घर के गुलाबों का शुमार

ग़ैर मुमकिन है तिरे घर के गुलाबों का शुमार

गवाही कैसे टूटती मुआमला ख़ुदा का था

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा

इक नाम क्या लिखा तिरा साहिल की रेत पर

एक मुश्त-ए-ख़ाक और वो भी हवा की ज़द में है

दुश्मनों के साथ मेरे दोस्त भी आज़ाद हैं

दिल अजब शहर कि जिस पर भी खुला दर उस का

देने वाले की मशिय्यत पे है सब कुछ मौक़ूफ़

दरवाज़ा जो खोला तो नज़र आए खड़े वो

चेहरा ओ नाम एक साथ आज न याद आ सके

चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया

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