मोहम्मद रफ़ी सौदा कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का मोहम्मद रफ़ी सौदा (page 2)
नाम | मोहम्मद रफ़ी सौदा |
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अंग्रेज़ी नाम | Sauda Mohammad Rafi |
जन्म की तारीख | 1713 |
मौत की तिथि | 1780 |
जन्म स्थान | Delhi |
मैं ने तुम को दिल दिया और तुम ने मुझे रुस्वा किया
मै-कशाँ रूह हमारी भी कभी शाद करो
क्या ज़िद है मिरे साथ ख़ुदा जाने वगरना
क्या करूँगा ले के वाइज़ हाथ से हूरों के जाम
किसे ताक़त है शरह-ए-शौक़ उस मज्लिस में करने की
किस मुँह से फिर तू आप को कहता है इश्क़-बाज़
कौन किसी का ग़म खाता है
कैफ़िय्यत-ए-चश्म उस की मुझे याद है 'सौदा'
कहते थे हम न देख सकें रोज़-ए-हिज्र को
कहियो सबा सलाम हमारा बहार से
काम आई कोहकन की मशक़्क़त न इश्क़ में
जिस रोज़ किसी और पे बेदाद करोगे
जब यार ने उठा कर ज़ुल्फ़ों के बाल बाँधे
इश्क़ से तो नहीं हूँ मैं वाक़िफ़
इस कश्मकश से दाम के क्या काम था हमें
हर संग में शरार है तेरे ज़ुहूर का
हर आन आ मुझी को सताते हो नासेहो
है मुद्दतों से ख़ाना-ए-ज़ंजीर बे-सदा
गुल फेंके है औरों की तरफ़ बल्कि समर भी
गिला लिखूँ मैं अगर तेरी बेवफ़ाई का
ग़रज़ कुफ़्र से कुछ न दीं से है मतलब
गर तुझ में है वफ़ा तो जफ़ाकार कौन है
गर हो शराब ओ ख़ल्वत ओ महबूब-ए-ख़ूब-रू
फ़िराक़-ए-ख़ुल्द से गंदुम है सीना-चाक अब तक
फ़िक्र-ए-मआश इश्क़-ए-बुताँ याद-ए-रफ़्तगाँ
दिल मत टपक नज़र से कि पाया न जाएगा
दिल के टुकड़ों को बग़ल-गीर लिए फिरता हूँ
दिखाऊँगा तुझे ज़ाहिद उस आफ़त-ए-दीं को
बे-सबाती ज़माने की नाचार
बदला तिरे सितम का कोई तुझ से क्या करे