बशीर बद्र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बशीर बद्र (page 6)
नाम | बशीर बद्र |
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अंग्रेज़ी नाम | Bashir Badr |
जन्म की तारीख | 1935 |
जन्म स्थान | Bhopal |
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
अजीब रात थी कल तुम भी आ के लौट गए
अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ
अहबाब भी ग़ैरों की अदा सीख गए हैं
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा
आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है
आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा
ज़र्रों में कुनमुनाती हुई काएनात हूँ
यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ है
वो सूरत गर्द-ए-ग़म में छुप गई हो
वो ग़ज़ल वालों का उस्लूब समझते होंगे
वो चाँदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है
वो अपने घर चला गया अफ़्सोस मत करो
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
उदासी आसमाँ है दिल मिरा कितना अकेला है
उदास रात है कोई तो ख़्वाब दे जाओ
उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं
तारों भरी पलकों की बरसाई हुई ग़ज़लें
सुनसान रास्तों से सवारी न आएगी
सोए कहाँ थे आँखों ने तकिए भिगोए थे
सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं
शो'ला-ए-गुल गुलाब शो'ला क्या
शाम आँखों में आँख पानी में
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ