बशीर बद्र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बशीर बद्र (page 3)
नाम | बशीर बद्र |
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अंग्रेज़ी नाम | Bashir Badr |
जन्म की तारीख | 1935 |
जन्म स्थान | Bhopal |
मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी
मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है
मुझ से क्या बात लिखानी है कि अब मेरे लिए
मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा
मुझे लगता है दिल खिंच कर चला आता है हाथों पर
मुझे इश्तिहार सी लगती हैं ये मोहब्बतों की कहानियाँ
मुद्दत से इक लड़की के रुख़्सार की धूप नहीं आई
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला
मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है
मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी
मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे
मिरे साथ चलने वाले तुझे क्या मिला सफ़र में
मेरा शैतान मर गया शायद
मंदिर गए मस्जिद गए पीरों फ़क़ीरों से मिले
मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
मैं ने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी
मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ
मैं तमाम तारे उठा उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ
मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ
मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की
मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना
मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा
मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो
मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का
महलों में हम ने कितने सितारे सजा दिए
महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में
लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी
कोई फूल सा हाथ काँधे पे था