बशीर बद्र कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का बशीर बद्र (page 2)
नाम | बशीर बद्र |
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अंग्रेज़ी नाम | Bashir Badr |
जन्म की तारीख | 1935 |
जन्म स्थान | Bhopal |
तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा
तुम मोहब्बत को खेल कहते हो
तुम अभी शहर में क्या नए आए हो
तिरी आरज़ू तिरी जुस्तुजू में भटक रहा था गली गली
तहज़ीब के लिबास उतर जाएँगे जनाब
सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर
शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है
शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा
सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे
रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर
रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा
रात का इंतिज़ार कौन करे
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँ
फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम
फिर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा
पहचान अपनी हम ने मिटाई है इस तरह
नाम पानी पे लिखने से क्या फ़ाएदा
नहीं है मेरे मुक़द्दर में रौशनी न सही
नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं
न उदास हो न मलाल कर किसी बात का न ख़याल कर
न तुम होश में हो न हम होश में हैं
न जी भर के देखा न कुछ बात की
न जाने कब तिरे दिल पर नई सी दस्तक हो