Couplets Poetry (page 2)

बेचैनी के लम्हे साँसें पत्थर की

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

अब ज़मीं पर क़दम नहीं टिकते

ज़ुल्फ़िकार नक़वी

मेरे ग़म की तल्ख़ियों का इस से कुछ अंदाज़ा कर

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

जिस राह से उठा हूँ वहीं बैठ जाऊँगा

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

बेश-तर ख़ुदा पाया और बरमला पाया

ज़ुल्फ़िक़ार अली बुख़ारी

ये दर-ओ-दीवार पर बे-नाम से चुप-चाप साए

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

पेड़ों की घनी छाँव और चैत की हिद्दत थी

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

किस का चेहरा ढूँडा धूप और छाँव में

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

हमारे शहर में आने की सूरत चाहती हैं

ज़ुल्फ़िक़ार अहमद ताबिश

यूँ उठे इक दिन कि लोगों को हुआ

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

ये किस ने हात पेशानी पे रक्खा

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

रवानी में नज़र आता है जो भी

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

दश्त-ओ-दरिया की इब्तिदा से हैं

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

बैठे बैठे इसी ग़ुबार के साथ

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

'आदिल' सजे हुए हैं सभी ख़्वाब ख़्वान पर

ज़ुल्फ़िक़ार आदिल

वो जिसे सारे ज़माने ने कहा मेरा रक़ीब

ज़ुहूर नज़र

वो भी शायद रो पड़े वीरान काग़ज़ देख कर

ज़ुहूर नज़र

तन्हाई न पूछ अपनी कि साथ अहल-ए-जुनूँ के

ज़ुहूर नज़र

सुनते हैं चमकता है वो चाँद अब भी सर-ए-बाम

ज़ुहूर नज़र

पास हमारे आकर तुम बेगाना से क्यूँ हो

ज़ुहूर नज़र

न सो सका हूँ न शब जाग कर गुज़ारी है

ज़ुहूर नज़र

लुट गया है सफ़र में जो कुछ था

ज़ुहूर नज़र

ख़ुद को पाने की तलब में आरज़ू उस की भी थी

ज़ुहूर नज़र

घर से उस का भी निकलना हो गया आख़िर मुहाल

ज़ुहूर नज़र

बरसों से खड़ा हूँ हाथ उठाए

ज़ुहूर नज़र

बाद-ए-तर्क-ए-उल्फ़त भी यूँ तो हम जिए लेकिन

ज़ुहूर नज़र

अपनी सूरत बिगड़ गई लेकिन

ज़ुहूर नज़र

अपनों के ज़ख़्म खा के मैं निकला जो शहर से

ज़ुहैर कंजाही

रात के पिछले पहर इक सनसनाहट सी हुई

ज़ुबैर शिफ़ाई

ज़िंदगी जिन की रिफ़ाक़त पे बहुत नाज़ाँ थी

ज़ुबैर रिज़वी

Couplets poetry in Hindi - Read Best Ghazals, Sad Poetry by Famous Poets in Hindi with Sad Hindi Shayari, Love Poetry & Two Line Sher. Largest Collection of Couplets in Hindi for Students and Youth. Free download best Couplets, Sufi Poetry, Love Shayari written by great Poets in PDF.