Couplets Poetry (page 613)
वो ख़त वो चेहरा वो ज़ुल्फ़-ए-सियाह तो देखो
आसी ग़ाज़ीपुरी
वो कहते हैं मैं ज़िंदगानी हूँ तेरी
आसी ग़ाज़ीपुरी
तबीअत की मुश्किल-पसंदी तो देखो
आसी ग़ाज़ीपुरी
मिलने वाले से राह पैदा कर
आसी ग़ाज़ीपुरी
मेरी आँखें और दीदार आप का
आसी ग़ाज़ीपुरी
लब-ए-नाज़ुक के बोसे लूँ तो मिस्सी मुँह बनाती है
आसी ग़ाज़ीपुरी
किस को देखा उन की सूरत देख कर
आसी ग़ाज़ीपुरी
ख़ुदा से तिरा चाहना चाहता हूँ
आसी ग़ाज़ीपुरी
दिल दिया जिस ने किसी को वो हुआ साहिब-ए-दिल
आसी ग़ाज़ीपुरी
दर्द-ए-दिल कितना पसंद आया उसे
आसी ग़ाज़ीपुरी
बीमार-ए-ग़म की चारागरी कुछ ज़रूर है
आसी ग़ाज़ीपुरी
ऐ जुनूँ फिर मिरे सर पर वही शामत आई
आसी ग़ाज़ीपुरी
ये बात याद रखेंगे तलाशने वाले
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ये और बात कि तुम भी यहाँ के शहरी हो
आशुफ़्ता चंगेज़ी
ऊँची उड़ान के लिए पर तौलते थे हम
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तुझ से बिछड़ना कोई नया हादसा नहीं
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तुझ को भी क्यूँ याद रखा
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तुझे भुलाने की कोशिश में फिर रहे थे कि हम
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तू कभी इस शहर से हो कर गुज़र
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तेज़ी से बीतते हुए लम्हों के साथ साथ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तेरी ख़बर मिल जाती थी
आशुफ़्ता चंगेज़ी
तलाश जिन को हमेशा बुज़ुर्ग करते रहे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सोने से जागने का तअल्लुक़ न था कोई
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सवाल करती कई आँखें मुंतज़िर हैं यहाँ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सफ़र तो पहले भी कितने किए मगर इस बार
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सड़क पे चलते हुए आँखें बंद रखता हूँ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
सभी को अपना समझता हूँ क्या हुआ है मुझे
आशुफ़्ता चंगेज़ी
पहले ही क्या कम तमाशे थे यहाँ
आशुफ़्ता चंगेज़ी
न इब्तिदा की ख़बर और न इंतिहा मालूम
आशुफ़्ता चंगेज़ी
किस की तलाश है हमें किस के असर में हैं
आशुफ़्ता चंगेज़ी