Coupletss of Nazeer Akbarabadi (page 3)

Coupletss of Nazeer Akbarabadi (page 3)
नामनज़ीर अकबराबादी
अंग्रेज़ी नामNazeer Akbarabadi
जन्म की तारीख1735
मौत की तिथि1830

जितने हैं कुश्तगान-ए-इश्क़ उन के अज़ल से हैं मिले

जिस्म क्या रूह की है जौलाँ-गाह

जिसे मोल लेना हो ले ले ख़ुशी से

जिस काम को जहाँ में तू आया था ऐ 'नज़ीर'

जा पड़े चुप हो के जब शहर-ए-ख़मोशाँ में 'नज़ीर'

इश्क़ का दूर करे दिल से जो धड़का तावीज़

हुस्न के नाज़ उठाने के सिवा

हम वो दरख़्त हैं कि जिसे दम-ब-दम अजल

हम हाल तो कह सकते हैं अपना प कहें क्या

हस्तियाँ नीस्तियाँ याँ भी हैं ऐसी जैसे

हर इक मकाँ में गुज़रगाह-ए-ख़्वाब है लेकिन

है दसहरे में भी यूँ गर फ़रहत-ओ-ज़ीनत 'नज़ीर'

गो सफ़ेदी मू की यूँ रौशन है जूँ आब-ए-हयात

ग़श खा के गिरा पहले ही शोले की झलक से

ग़रज़ न सर की ख़बर थी न पा का होश 'नज़ीर'

गए थे मिलने को शायद झिड़क दिया उस ने

इक दम की ज़िंदगी के लिए मत उठा मुझे

दूर-अज़-तरीक़ मुझ को समझियो न ज़ाहिदा

दूर से आए थे साक़ी सुन के मय-ख़ाने को हम

दोस्तो क्या क्या दिवाली में नशात-ओ-ऐश है

दीवानगी मेरी के तहय्युर में शब-ओ-रोज़

दिल की बे-ताबी ठहरने नहीं देती मुझ को

दिल की बेताबी नहीं ठहरने देती है मुझे

देखेंगे हम इक निगाह उस को

देखे न मुझे क्यूँकर अज़-चश्म-ए-हिक़ारत-ऊ

देख उसे रंग-ए-बहार ओ सर्व ओ गुल और जूएबार

देख ले इस चमन-ए-दहर को दिल भर के 'नज़ीर'

चमक है दर्द है कौंदन पड़ी है हूक उठती है

चलते चलते न ख़लिश कर फ़लक-ए-दूँ से 'नज़ीर'

भुला दीं हम ने किताबें कि उस परी-रू के

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