ग़ुलाम मौला क़लक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ग़ुलाम मौला क़लक़ (page 5)

ग़ुलाम मौला क़लक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ग़ुलाम मौला क़लक़ (page 5)
नामग़ुलाम मौला क़लक़
अंग्रेज़ी नामGhulam Maula Qalaq

उठने में दर्द-ए-मुत्तसिल हूँ मैं

उन से कहा कि सिद्क़-ए-मोहब्बत मगर दरोग़

उड़ाऊँ न क्यूँ तार-तार-ए-गरेबाँ

तुझे कल ही से नहीं बे-कली न कुछ आज ही से रहा क़लक़

थक थक गए हैं आशिक़ दरमांदा-ए-फ़ुग़ाँ हो

तेरे वादे का इख़्तिताम नहीं

तेरे दर पर मक़ाम रखते हैं

रिश्ता-ए-रस्म-ए-मोहब्बत मत तोड़

राज़-ए-दिल दोस्त को सुना बैठे

पी भी ऐ माया-ए-शबाब शराब

नक़्श-बर-आब नाम है सैल-ए-फ़ना मक़ाम

न रहा शिकवा-ए-जफ़ा न रहा

न पहुँचे हाथ जिस का ज़ोफ़ से ता-ज़ीस्त दामन तक

न हो आरज़ू कुछ यही आरज़ू है

मातम-ए-दीद है दीदार का ख़्वाहाँ होना

क्या कहें तुझ से हम वफ़ा क्या है

क्या आ के जहाँ में कर गए हम

कोई कैसा ही साबित हो तबीअ'त आ ही जाती है

किस क़दर दिलरुबा-नुमा है दिल

ख़ुशी में भी नवा-संज-ए-फ़ुग़ाँ हूँ

ख़ुद देख ख़ुदी को ओ ख़ुद-आरा

ख़त ज़मीं पर न ऐ फ़ुसूँ-गर काट

कहिए क्या और फ़ैसले की बात

जो दिलबर की मोहब्बत दिल से बदले

जौहर-ए-आसमाँ से क्या न हुआ

हम तो याँ मरते हैं वाँ उस को ख़बर कुछ भी नहीं

हो जुदा ऐ चारा-गर है मुझ को आज़ार-ए-फ़िराक़

हर अदावत की इब्तिदा है इश्क़

है ख़मोशी-ए-इंतिज़ार बला

ग़ैर शायान-ए-रस्म-ओ-राह नहीं

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