Coupletss of Ahmad Mushtaq

Coupletss of Ahmad Mushtaq
नामअहमद मुश्ताक़
अंग्रेज़ी नामAhmad Mushtaq
जन्म की तारीख1933
जन्म स्थानLahore

ये वो मौसम है जिस में कोई पत्ता भी नहीं हिलता

ये तन्हा रात ये गहरी फ़ज़ाएँ

ये पानी ख़ामुशी से बह रहा है

यार सब जम्अ हुए रात की ख़ामोशी में

यही दुनिया थी मगर आज भी यूँ लगता है

वो वक़्त भी आता है जब आँखों में हमारी

वो जो रात मुझ को बड़े अदब से सलाम कर के चला गया

वहाँ सलाम को आती है नंगे पाँव बहार

उम्र भर दुख सहते सहते आख़िर इतना तो हुआ

तुम आए हो तुम्हें भी आज़मा कर देख लेता हूँ

तू ने ही तो चाहा था कि मिलता रहूँ तुझ से

तू अगर पास नहीं है कहीं मौजूद तो है

तन्हाई में करनी तो है इक बात किसी से

तमाशा-गाह-ए-जहाँ में मजाल-ए-दीद किसे

संग उठाना तो बड़ी बात है अब शहर के लोग

रोज़ मिलने पे भी लगता था कि जुग बीत गए

रोने लगता हूँ मोहब्बत में तो कहता है कोई

पता अब तक नहीं बदला हमारा

पानी में अक्स और किसी आसमाँ का है

नींदों में फिर रहा हूँ उसे ढूँढता हुआ

नए दीवानों को देखें तो ख़ुशी होती है

मुझे मालूम है अहल-ए-वफ़ा पर क्या गुज़रती है

मोहब्बत मर गई 'मुश्ताक़' लेकिन तुम न मानोगे

मिलने की ये कौन घड़ी थी

मिल ही जाएगा कभी दिल को यक़ीं रहता है

मैं ने कहा कि देख ये मैं ये हवा ये रात

मैं बहुत ख़ुश था कड़ी धूप के सन्नाटे में

कोई तस्वीर मुकम्मल नहीं होने पाती

किसी जानिब नहीं खुलते दरीचे

खोया है कुछ ज़रूर जो उस की तलाश में

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