Sad Poetry (page 363)
नज़्अ' की सख़्ती बढ़ी उन को पशेमाँ देख कर
अब्बास अली ख़ान बेखुद
किसी से इश्क़ करना और इस को बा-ख़बर करना
अब्बास अली ख़ान बेखुद
बे-वज्ह नहीं उन का बे-ख़ुद को बुलाना है
अब्बास अली ख़ान बेखुद
वो जाते जाते मुझे अपने ग़म भी सौंप गया
आज़िम कोहली
मुझे अय्यारियाँ सब आ गई हैं
आज़िम कोहली
मोहब्बत करने वाले दर्द में तन्हा नहीं होते
आज़िम कोहली
मैं जी भर के रोया तो आराम आया
आज़िम कोहली
कौन जाने किस घड़ी याँ क्या से क्या हो कर रहे
आज़िम कोहली
ज़र्फ़ है किस में कि वो सारा जहाँ ले कर चले
आज़िम कोहली
थी याद किस दयार की जो आ के यूँ रुला गई
आज़िम कोहली
सिलसिले सब रुक गए दिल हाथ से जाता रहा
आज़िम कोहली
मिरी यादें भला तुम किस तरह दिल से मिटाओगे
आज़िम कोहली
किधर का था किधर का हो गया हूँ
आज़िम कोहली
ख़याल-ए-यार का जल्वा यहाँ भी था वहाँ भी था
आज़िम कोहली
जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ
आज़िम कोहली
जो होगा सब ठीक ही होगा होने दो जो होना है
आज़िम कोहली
जब कभी तुम मेरी जानिब आओगे
आज़िम कोहली
इक इश्क़ है कि जिस की गली जा रहा हूँ मैं
आज़िम कोहली
दूर है मंज़िल तो क्या रस्ता तो है
आज़िम कोहली
दोस्तों की बज़्म में साग़र उठाए जाएँगे
आज़िम कोहली
बहुत अज़ीज़ था आलम वो दिल-फ़िगारी का
आज़िम कोहली
उल्फ़तों का ख़ुदा नहीं हूँ मैं
अातिश इंदौरी
क्या है ऊँचाई मोहब्बत की बताते जाओ
अातिश इंदौरी
दिल में है क्या अज़ाब कहे तो पता चले
अातिश इंदौरी
दर्द से दिल ने वास्ता रक्खा
अातिश इंदौरी
ख़ूगर-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार था इतना 'आतिश'
अातिश बहावलपुरी
ग़म-ओ-अलम भी हैं तुम से ख़ुशी भी तुम से है
अातिश बहावलपुरी
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
अातिश बहावलपुरी
वो मेरे क़ल्ब को छेदेगा कब गुमान में था
अातिश बहावलपुरी
सितम को उन का करम कहें हम जफ़ा को मेहर-ओ-वफ़ा कहें हम
अातिश बहावलपुरी