Coupletss of Mubarak Azimabadi (page 2)

Coupletss of Mubarak Azimabadi (page 2)
नाममुबारक अज़ीमाबादी
अंग्रेज़ी नामMubarak Azimabadi
जन्म की तारीख1849
मौत की तिथि1958
जन्म स्थानPatna

क्या कहें क्या क्या किया तेरी निगाहों ने सुलूक

कुछ इस अंदाज़ से सय्याद ने आज़ाद किया

किसी से आज का वादा किसी से कल का वादा है

किसी ने बर्छियाँ मारीं किसी ने तीर मारे हैं

किसी की तमन्ना निकलती रही

किस पे दिल आया कहाँ आया बता ऐ नासेह

खटक रही है कोई शय निकाल दे कोई

ख़बर इतनी तो है झोंके तिरे बाद-ए-ख़िज़ाँ पहुँचे

कली रह गई ना-शगुफ़्ता हमारी

कल तो देखा था 'मुबारक' बुत-कदे में आप को

कहीं ऐसा न हो कम-बख़्त में जान आ जाए

कहाँ क़िस्मत में इस की फूल होना

कभी दिल की कली खिली ही नहीं

कब वो आएँगे इलाही मिरे मेहमाँ हो कर

कब उन आँखों का सामना न हुआ

जो उन को चाहिए वो किए जा रहे हैं वो

जो क़यामत का नहीं दिन वो मिरा दिन कैसा

जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं

जो लड़खड़ाए क़दम मय-कदे में मस्तों के

जो दिल-नशीं हो किसी के तो इस का क्या कहना

जिनाँ की कहते हैं यूँ मुझ से हज़रत-ए-वाइज़

जबीं पर ख़ाक है ये किस के दर की

जाँ-निसारान-ए-मोहब्बत में न हो अपना शुमार

इस भरी महफ़िल में हम से दावर-ए-महशर न पूछ

ईमान की तो ये है कि ईमान अब कहाँ

हम भी दीवाने हैं वहशत में निकल जाएँगे

हज़ारों मय-कदे सर पर लिए हैं

हवा बाँधते हैं जो हज़रत जिनाँ की

हँसी है दिल-लगी है क़हक़हे हैं

गई बहार मगर अपनी बे-ख़ुदी है वही

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