Couplets Poetry (page 307)

नहा कर भीगे बालों को सुखाती

मोहम्मद अल्वी

मुतमइन है वो बना कर दुनिया

मोहम्मद अल्वी

मुँह-ज़बानी क़ुरआन पढ़ते थे

मोहम्मद अल्वी

मिला हमें बस एक ख़ुदा

मोहम्मद अल्वी

मिरे होने ने मुझ को मार डाला

मोहम्मद अल्वी

मौत न आई तो 'अल्वी'

मोहम्मद अल्वी

मौत भी दूर बहुत दूर कहीं फिरती है

मोहम्मद अल्वी

मरने के डर से और कहाँ तक जियेगा तू

मोहम्मद अल्वी

माना कि तू ज़हीन भी है ख़ूब-रू भी है

मोहम्मद अल्वी

मैं उस के बदन की मुक़द्दस किताब

मोहम्मद अल्वी

मैं नाहक़ दिन काट रहा हूँ

मोहम्मद अल्वी

मैं ख़ुद को मरते हुए देख कर बहुत ख़ुश हूँ

मोहम्मद अल्वी

लोग कहते हैं कि मुझ सा था कोई

मोहम्मद अल्वी

लम्बी सड़क पे दूर तलक कोई भी न था

मोहम्मद अल्वी

लड़की अच्छी है 'अल्वी'

मोहम्मद अल्वी

क्यूँ सर खपा रहे हो मज़ामीं की खोज में

मोहम्मद अल्वी

कुछ तो इस दिल को सज़ा दी जाए

मोहम्मद अल्वी

कितना मुश्किल है ज़िंदगी करना

मोहम्मद अल्वी

किसी से कोई तअल्लुक़ रहा न हो जैसे

मोहम्मद अल्वी

खिड़कियों से झाँकती है रौशनी

मोहम्मद अल्वी

काँटे की तरह सूख के रह जाओगे 'अल्वी'

मोहम्मद अल्वी

कहीं खो न जाए क़यामत का दिन

मोहम्मद अल्वी

कहाँ भटकते फिरोगे 'अल्वी'

मोहम्मद अल्वी

कभी तो ऐसा भी हो राह भूल जाऊँ मैं

मोहम्मद अल्वी

इस भरी दुनिया से वो चल दिया चुपके से यूँ

मोहम्मद अल्वी

हम से जो आगे गए कितने मेहरबान थे

मोहम्मद अल्वी

हर वक़्त खिलते फूल की जानिब तका न कर

मोहम्मद अल्वी

हैरान मत हो तैरती मछली को देख कर

मोहम्मद अल्वी

हाए वो लोग जो देखे भी नहीं

मोहम्मद अल्वी

गुल-दान में गुलाब की कलियाँ महक उठीं

मोहम्मद अल्वी

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