Couplets Poetry (page 305)

चुल्लू-भर पानी में जाके डूब मर

मोहम्मद कमाल अज़हर

तिरा पाँव शाम पे आ गया था कि चाँद था

मोहम्मद इज़हारुल हक़

कोई ज़ारी सुनी नहीं जाती कोई जुर्म मुआफ़ नहीं होता

मोहम्मद इज़हारुल हक़

घिरा हुआ हूँ जनम-दिन से इस तआक़ुब में

मोहम्मद इज़हारुल हक़

अँधेरी शाम थी बादल बरस न पाए थे

मोहम्मद इज़हारुल हक़

'फ़ीरोज़' मैं ने ख़ुद ही सलासिल पहन लिए

मोहम्मद फ़ीरोज़ शाह

ग़ैर-मुमकिन था फ़सीलें फ़ासलों की फाँदना

मोहम्मद फ़ख़रुल हक़ नूरी

ये डर है क़ाफ़िले वालो कहीं न गुम कर दे

मोहम्मद दीन तासीर

ये दलील-ए-ख़ुश-दिली है मिरे वास्ते नहीं है

मोहम्मद दीन तासीर

रब्त है हुस्न ओ इश्क़ में बाहम

मोहम्मद दीन तासीर

मुझ को तो बर्बाद किया है

मोहम्मद दीन तासीर

मेरी वफ़ाएँ याद करोगे

मोहम्मद दीन तासीर

जिस तरह हम ने रातें काटी हैं

मोहम्मद दीन तासीर

हुज़ूर-ए-यार भी आँसू निकल ही आते हैं

मोहम्मद दीन तासीर

हमें भी देख कि हम आरज़ू के सहरा में

मोहम्मद दीन तासीर

दावर-ए-हश्र मिरा नामा-ए-आमाल न देख

मोहम्मद दीन तासीर

था जिन्हें हुस्न-परस्ती से हमेशा इंकार

मोहम्मद अमान निसार

मुझ में और उन में सबब क्या जो लड़ाई होगी

मोहम्मद अमान निसार

मत मुँह से 'निसार' अपने को ऐ जान बुरा कह

मोहम्मद अमान निसार

क्या फ़ुसूँ तू ने ख़ुदा जाने ये हम पर मारा

मोहम्मद अमान निसार

किस जफ़ा-कार से हम अहद-ए-वफ़ा कर बैठे

मोहम्मद अमान निसार

ख़ंजर न कमर में है न तलवार रखे है

मोहम्मद अमान निसार

जूँ जूँ नहीं देखे है 'निसार' अपने सनम को

मोहम्मद अमान निसार

देखे कहीं रस्ते में खड़ा मुझ को तो ज़िद से

मोहम्मद अमान निसार

आ जाए कहीं बाद का झोंका तो मज़ा हो

मोहम्मद अमान निसार

ज़मीं छोड़ने का अनोखा मज़ा

मोहम्मद अल्वी

ये कहाँ दोस्तों में आ बैठे

मोहम्मद अल्वी

यार आज मैं ने भी इक कमाल करना है

मोहम्मद अल्वी

यक्का उलट के रह गया घोड़ा भड़क गया

मोहम्मद अल्वी

वो जंगलों में दरख़्तों पे कूदते फिरना

मोहम्मद अल्वी

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