दाग़ देहलवी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का दाग़ देहलवी (page 4)
नाम | दाग़ देहलवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Dagh Dehlvi |
जन्म की तारीख | 1831 |
मौत की तिथि | 1905 |
जन्म स्थान | Delhi |
कोई नाम-ओ-निशाँ पूछे तो ऐ क़ासिद बता देना
कोई छींटा पड़े तो 'दाग़' कलकत्ते चले जाएँ
की तर्क-ए-मय तो माइल-ए-पिंदार हो गया
ख़ुदा की क़सम उस ने खाई जो आज
ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं
ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया
ख़बर सुन कर मिरे मरने की वो बोले रक़ीबों से
ख़ार-ए-हसरत बयान से निकला
कल तक तो आश्ना थे मगर आज ग़ैर हो
कहने देती नहीं कुछ मुँह से मोहब्बत मेरी
कहीं है ईद की शादी कहीं मातम है मक़्तल में
जोश-ए-रहमत के वास्ते ज़ाहिद
जो तुम्हारी तरह तुम से कोई झूटे वादे करता
जो गुज़रते हैं 'दाग़' पर सदमे
जिस में लाखों बरस की हूरें हों
जिस ख़त पे ये लगाई उसी का मिला जवाब
जिस जगह बैठे मिरा चर्चा किया
जिन को अपनी ख़बर नहीं अब तक
जाओ भी क्या करोगे मेहर-ओ-वफ़ा
जल्वे मिरी निगाह में कौन-ओ-मकाँ के हैं
जली हैं धूप में शक्लें जो माहताब की थीं
इस वहम में वो 'दाग़' को मरने नहीं देते
इस नहीं का कोई इलाज नहीं
इस लिए वस्ल से इंकार है हम जान गए
इलाही क्यूँ नहीं उठती क़यामत माजरा क्या है
इफ़्शा-ए-राज़-ए-इश्क़ में गो ज़िल्लतें हुईं
ईद है क़त्ल मिरा अहल-ए-तमाशा के लिए
हम भी क्या ज़िंदगी गुज़ार गए
हुआ है चार सज्दों पर ये दावा ज़ाहिदो तुम को
होश ओ हवास ओ ताब ओ तवाँ 'दाग़' जा चुके