Sad Poetry (page 178)
मैं जिस की आँख का आँसू था उस ने क़द्र न की
बशीर बद्र
मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का
बशीर बद्र
लोबान में चिंगारी जैसे कोई रख जाए
बशीर बद्र
कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर ये कैसी आवाज़ें
बशीर बद्र
हाथ में चाँद जहाँ आया मुक़द्दर चमका
बशीर बद्र
चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ पर
बशीर बद्र
बिछी थीं हर तरफ़ आँखें ही आँखें
बशीर बद्र
बहुत दिनों से है दिल अपना ख़ाली ख़ाली सा
बशीर बद्र
अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है
बशीर बद्र
ये ज़र्द पत्तों की बारिश मिरा ज़वाल नहीं
बशीर बद्र
ये चराग़ बे-नज़र है ये सितारा बे-ज़बाँ है
बशीर बद्र
वो सूरत गर्द-ए-ग़म में छुप गई हो
बशीर बद्र
वो अपने घर चला गया अफ़्सोस मत करो
बशीर बद्र
वही ताज है वही तख़्त है वही ज़हर है वही जाम है
बशीर बद्र
उदासी आसमाँ है दिल मिरा कितना अकेला है
बशीर बद्र
तारों भरी पलकों की बरसाई हुई ग़ज़लें
बशीर बद्र
सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है
बशीर बद्र
रेत भरी है इन आँखों में आँसू से तुम धो लेना
बशीर बद्र
पिछली रात की नर्म चाँदनी शबनम की ख़ुनकी से रचा है
बशीर बद्र
फूल बरसे कहीं शबनम कहीं गौहर बरसे
बशीर बद्र
पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
बशीर बद्र
परखना मत परखने में कोई अपना नहीं रहता
बशीर बद्र
पहला सा वो ज़ोर नहीं है मेरे दुख की सदाओं में
बशीर बद्र
न जी भर के देखा न कुछ बात की
बशीर बद्र
मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे
बशीर बद्र
मुझ से बिछड़ के ख़ुश रहते हो
बशीर बद्र
मिरी ज़िंदगी भी मिरी नहीं ये हज़ार ख़ानों में बट गई
बशीर बद्र
मिरी ज़बाँ पे नए ज़ाइक़ों के फल लिख दे
बशीर बद्र
मेरे दिल की राख कुरेद मत इसे मुस्कुरा के हवा न दे
बशीर बद्र
मान मौसम का कहा छाई घटा जाम उठा
बशीर बद्र