ग़ालिब कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का ग़ालिब (page 8)
नाम | ग़ालिब |
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अंग्रेज़ी नाम | Mirza Ghalib |
जन्म की तारीख | 1797 |
मौत की तिथि | 1869 |
जन्म स्थान | Delhi |
हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी
हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन
हम कहाँ के दाना थे किस हुनर में यकता थे
हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
हम भी तस्लीम की ख़ू डालेंगे
हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है
हुई जिन से तवक़्क़ो ख़स्तगी की दाद पाने की
हुए मर के हम जो रुस्वा हुए क्यूँ न ग़र्क़-ए-दरिया
हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता
होगा कोई ऐसा भी कि 'ग़ालिब' को न जाने
हो चुकीं 'ग़ालिब' बलाएँ सब तमाम
हज़रत-ए-नासेह गर आवें दीदा ओ दिल फ़र्श-ए-राह
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले
हवस-ए-गुल के तसव्वुर में भी खटका न रहा
हवस को है नशात-ए-कार क्या क्या
हस्ती के मत फ़रेब में आ जाइयो 'असद'
हरीफ़-ए-मतलब-ए-मुश्किल नहीं फ़ुसून-ए-नियाज़
हर-चंद हो मुशाहिदा-ए-हक़ की गुफ़्तुगू
हर क़दम दूरी-ए-मंज़िल है नुमायाँ मुझ से
हर इक मकान को है मकीं से शरफ़ 'असद'
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
हर बुल-हवस ने हुस्न-परस्ती शिआ'र की
हाँ वो नहीं ख़ुदा-परस्त जाओ वो बेवफ़ा सही
हाँ ऐ फ़लक-ए-पीर जवाँ था अभी आरिफ़
हाँ अहल-ए-तलब कौन सुने ताना-ए-ना-याफ़्त
हमारे शेर हैं अब सिर्फ़ दिल-लगी के 'असद'
हैराँ हूँ दिल को रोऊँ कि पीटूँ जिगर को मैं
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे