Coupletss of Mirza Ghalib (page 9)

Coupletss of Mirza Ghalib (page 9)
नामग़ालिब
अंग्रेज़ी नामMirza Ghalib
जन्म की तारीख1797
मौत की तिथि1869
जन्म स्थानDelhi

हैफ़ उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत 'ग़ालिब'

है तमाशा-गाह-ए-सोज़-ए-ताज़ा हर यक उज़्व-ए-तन

है पर-ए-सरहद-ए-इदराक से अपना मसजूद

है मुश्तमिल नुमूद-ए-सुवर पर वजूद-ए-बहर

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ

है ख़याल-ए-हुस्न में हुस्न-ए-अमल का सा ख़याल

है ख़बर गर्म उन के आने की

है कहाँ तमन्ना का दूसरा क़दम या रब

है काएनात को हरकत तेरे ज़ौक़ से

है गै़ब-ए-ग़ैब जिस को समझते हैं हम शुहूद

है अब इस मामूरे में क़हत-ए-ग़म-ए-उल्फ़त 'असद'

है आदमी बजाए ख़ुद इक महशर-ए-ख़याल

हद चाहिए सज़ा में उक़ूबत के वास्ते

गुंजाइश-ए-अदावत-ए-अग़्यार यक तरफ़

गो मैं रहा रहीन-ए-सितम-हा-ए-रोज़गार

गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है

गिरनी थी हम पे बर्क़-ए-तजल्ली न तूर पर

घर में था क्या कि तिरा ग़म उसे ग़ारत करता

ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज

ग़म अगरचे जाँ-गुसिल है प कहाँ बचें कि दिल है

ग़लती-हा-ए-मज़ामीं मत पूछ

ग़ैर लें महफ़िल में बोसे जाम के

ग़ैर को या रब वो क्यूँकर मन-ए-गुस्ताख़ी करे

'ग़ालिब'-ए-ख़स्ता के बग़ैर कौन से काम बंद हैं

'ग़ालिब' तिरा अहवाल सुना देंगे हम उन को

'ग़ालिब' न कर हुज़ूर में तू बार बार अर्ज़

'ग़ालिब' हमें न छेड़ कि फिर जोश-ए-अश्क से

'ग़ालिब' छुटी शराब पर अब भी कभी कभी

'ग़ालिब' बुरा न मान जो वाइज़ बुरा कहे

'ग़ालिब' अपना ये अक़ीदा है ब-क़ौल-ए-'नासिख़'

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