Coupletss of Mirza Ghalib (page 12)

Coupletss of Mirza Ghalib (page 12)
नामग़ालिब
अंग्रेज़ी नामMirza Ghalib
जन्म की तारीख1797
मौत की तिथि1869
जन्म स्थानDelhi

बात पर वाँ ज़बान कटती है

और बाज़ार से ले आए अगर टूट गया

अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा

अपनी हस्ती ही से हो जो कुछ हो

अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल

अपना नहीं ये शेवा कि आराम से बैठें

अल्लाह रे ज़ौक़-ए-दश्त-नवर्दी कि बाद-ए-मर्ग

अगले वक़्तों के हैं ये लोग इन्हें कुछ न कहो

अगर ग़फ़लत से बाज़ आया जफ़ा की

अदा-ए-ख़ास से 'ग़ालिब' हुआ है नुक्ता-सरा

अब जफ़ा से भी हैं महरूम हम अल्लाह अल्लाह

आतिश-ए-दोज़ख़ में ये गर्मी कहाँ

आते हैं ग़ैब से ये मज़ामीं ख़याल में

आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब

आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम

आँख की तस्वीर सर-नामे पे खींची है कि ता

आज वाँ तेग़ ओ कफ़न बाँधे हुए जाता हूँ मैं

आज हम अपनी परेशानी-ए-ख़ातिर उन से

आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे

आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक

आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हँसी

आगही दाम-ए-शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाए

आए है बेकसी-ए-इश्क़ पे रोना 'ग़ालिब'

आ ही जाता वो राह पर 'ग़ालिब'

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