Coupletss of Mirza Ghalib (page 10)

Coupletss of Mirza Ghalib (page 10)
नामग़ालिब
अंग्रेज़ी नामMirza Ghalib
जन्म की तारीख1797
मौत की तिथि1869
जन्म स्थानDelhi

गरचे है तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल पर्दा-दार-ए-राज़-ए-इश्क़

गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग

गर किया नासेह ने हम को क़ैद अच्छा यूँ सही

गंजीना-ए-मअ'नी का तिलिस्म उस को समझिए

फ़र्दा-ओ-दी का तफ़रक़ा यक बार मिट गया

फ़ाएदा क्या सोच आख़िर तू भी दाना है 'असद'

ए'तिबार-ए-इश्क़ की ख़ाना-ख़राबी देखना

इक ख़ूँ-चकाँ कफ़न में करोड़ों बनाओ हैं

एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक़

एक एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब

दोस्त ग़म-ख़्वारी में मेरी सई फ़रमावेंगे क्या

दोनों जहान दे के वो समझे ये ख़ुश रहा

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है

दिल-ए-हर-क़तरा है साज़-ए-अनल-बहर

दिल से मिटना तिरी अंगुश्त-ए-हिनाई का ख़याल

दिल में ज़ौक़-ए-वस्ल ओ याद-ए-यार तक बाक़ी नहीं

दिल को नियाज़-ए-हसरत-ए-दीदार कर चुके

दिल ही तो है सियासत-ए-दरबाँ से डर गया

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ

दिखा के जुम्बिश-ए-लब ही तमाम कर हम को

धोता हूँ जब मैं पीने को उस सीम-तन के पाँव

ढाँपा कफ़न ने दाग़-ए-उयूब-ए-बरहनगी

देखना तक़रीर की लज़्ज़त कि जो उस ने कहा

देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है

देखिए पाते हैं उश्शाक़ बुतों से क्या फ़ैज़

देखिए लाती है उस शोख़ की नख़वत क्या रंग

दे मुझ को शिकायत की इजाज़त कि सितमगर

दश्ना-ए-ग़म्ज़ा जाँ-सिताँ नावक-ए-नाज़ बे-पनाह

दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ

दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग

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