Coupletss of Shah Naseer (page 3)

Coupletss of Shah Naseer (page 3)
नामशाह नसीर
अंग्रेज़ी नामShah Naseer
जन्म की तारीख1756
मौत की तिथि1838
जन्म स्थानDelhi

हम हैं और मजनूँ अज़ल से ख़ाना-पर्वर्द-ए-जुनूँ

हम दिखाएँगे तमाशा तुझ को फिर सर्व-ए-चमन

हो गुफ़्तुगू हमारी और अब उस की क्यूँकि आह

हवा पर है ये बुनियाद-ए-मुसाफ़िर ख़ाना-ए-हस्ती

ग़ुरूर-ए-हुस्न न कर जज़्बा-ए-ज़ुलेख़ा देख

ग़ज़ल इस बहर में क्या तुम ने लिखी है ये 'नसीर'

ग़रज़ न फ़ुर्क़त में कुफ़्र से थी न काम इस्लाम से रहा था

गर्दिश-ए-चर्ख़ नहीं कम भी हंडोले से कि महर

गले में तू ने वहाँ मोतियों का पहना हार

इक पल में झड़ी अब्र-ए-तुनक-माया की शेख़ी

इक आबला था सो भी गया ख़ार-ए-ग़म से फट

दूद-ए-आह-ए-जिगरी काम न आया यारो

दिन रात यहाँ पुतलियों का नाच रहे है

दिल-ए-पुर-आबला लाया हूँ दिखाने तुम को

दिला उस की काकुल से रख जम्अ ख़ातिर

देखोगे कि मैं कैसा फिर शोर मचाता हूँ

देख तू यार-ए-बादा-कश मैं ने भी काम क्या किया

दे मुझ को भी इस दौर में साक़ी सिपर-ए-जाम

दैर-ओ-काबा में तफ़ावुत ख़ल्क़ के नज़दीक है

चमन में ग़ुंचा मुँह खोले है जब कुछ दिल की कहने को

चमन में देखते ही पड़ गई कुछ ओस ग़ुंचों पर

बुर्क़ा को उलट मुझ से जो करता है वो बातें

बोसा-ए-ख़ाल-ए-लब-ए-जानाँ की कैफ़िय्यत न पूछ

बसान-ए-आइना हम ने तो चश्म वा कर ली

बना कर मन को मनका और रग-ए-तन के तईं रिश्ता

बजाए आब मय-ए-नर्गिसी पिला मुझ को

ब'अद-ए-मजनूँ क्यूँ न हूँ मैं कार-फ़रमा-ए-जुनूँ

ऐ ख़ाल-ए-रुख़-ए-यार तुझे ठीक बनाता

अब्र-ए-नैसाँ की भी झड़ जाएगी पल में शेख़ी

आता है तो आ वादा-फ़रामोश वगर्ना

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