शीन काफ़ निज़ाम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शीन काफ़ निज़ाम (page 1)

शीन काफ़ निज़ाम कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शीन काफ़ निज़ाम (page 1)
नामशीन काफ़ निज़ाम
अंग्रेज़ी नामSheen Kaaf Nizam
जन्म की तारीख1947
जन्म स्थानJodhpur

ज़ुल्म तो बे-ज़बान है लेकिन

यादों की रुत के आते ही सब हो गए हरे

याद और याद को भुलाने में

वहशत तो संग-ओ-ख़िश्त की तरतीब ले गई

ऊँची इमारतें तो बड़ी शानदार हैं

सुन लिया होगा हवाओं में बिखर जाता है

साहिलों की शफ़ीक़ आँखों में

पत्तियाँ हो गईं हरी देखो

निकले कभी न घर से मगर इस के बावजूद

मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ दे

कोई दुआ कभी तो हमारी क़ुबूल कर

किसी के साथ अब साया नहीं है

कहाँ जाती हैं बारिश की दुआएँ

जिन से अँधेरी रातों में जल जाते थे दिए

गली के मोड़ से घर तक अँधेरा क्यूँ है 'निज़ाम'

एक आसेब है हर इक घर में

दोस्ती इश्क़ और वफ़ादारी

धूल उड़ती है धूप बैठी है

दरवाज़ा कोई घर से निकलने के लिए दे

चुभन ये पीठ में कैसी है मुड़ के देख तो ले

बीच का बढ़ता हुआ हर फ़ासला ले जाएगा

बरसों से घूमता है इसी तरह रात दिन

बदलती रुत का नौहा सुन रहा है

अपनी पहचान भीड़ में खो कर

अपने अफ़्साने की शोहरत उसे मंज़ूर न थी

आरज़ू थी एक दिन तुझ से मिलूँ

आँखें कहीं दिमाग़ कहीं दस्त ओ पा कहीं

सायों के साए में

बयाज़ें खो गई हैं

वो गुनगुनाते रास्ते ख़्वाबों के क्या हुए

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