Coupletss of Taban Abdul Hai (page 2)

Coupletss of Taban Abdul Hai (page 2)
नामताबाँ अब्दुल हई
अंग्रेज़ी नामTaban Abdul Hai
जन्म की तारीख1715
मौत की तिथि1749
जन्म स्थानDelhi

महफ़िल के बीच सुन के मिरे सोज़-ए-दिल का हाल

ले मेरी ख़बर चश्म मिरे यार की क्यूँ-कर

किस किस तरह की दिल में गुज़रती हैं हसरतें

ख़्वान-ए-फ़लक पे नेमत-ए-अलवान है कहाँ

ख़ुदा देवे अगर क़ुदरत मुझे तो ज़िद है ज़ाहिद की

करता है गर तू बुत-शिकनी तो समझ के कर

कर क़त्ल मुझे उन ने आलम में बहुत ढूँडा

कई फ़ाक़ों में ईद आई है

कई बारी बिना हो जिस की फिर कहते हैं टूटेगा

कब पिलावेगा तू ऐ साक़ी मुझे जाम-ए-शराब

जिस का गोरा रंग हो वो रात को खिलता है ख़ूब

जब तलक रहे जीता चाहिए हँसे बोले

इन बुतों को तो मिरे साथ मोहब्बत होती

ईमान ओ दीं से 'ताबाँ' कुछ काम नहीं है हम को

हो रूह के तईं जिस्म से किस तरह मोहब्बत

हिज्र में उस बुत-ए-काफ़िर के तड़पते हैं पड़े

हवा भी इश्क़ की लगने न देता मैं उसे हरगिज़

हरम को छोड़ रहूँ क्यूँ न बुत-कदे में शैख़

हमारे मय-कदे में हैं जो कुछ की निय्यतें ज़ाहिर

है क्या सबब कि यार न आया ख़बर के तईं

ग़ज़ालों को तिरी आँखें से कुछ निस्बत नहीं हरगिज़

गर्म अज़-बस-कि है बाज़ार-ए-बुताँ ऐ ज़ाहिद

एक बुलबुल भी चमन में न रही अब की फ़सल

दुनिया कि नेक ओ बद से मुझे कुछ ख़बर नहीं

दूँ सारी ख़ुदाई को एवज़ उन के मैं 'ताबाँ'

दिल की हसरत न रही दिल में मिरे कुछ बाक़ी

देख क़ासिद को मिरे यार ने पूछा 'ताबाँ'

दर्द-ए-सर है ख़ुमार से मुझ को

बुरा न मानियो मैं पूछता हूँ ऐ ज़ालिम

ब'अद मुद्दत के माह-रू आया

ताबाँ अब्दुल हई Couplets in Hindi - Read famous ताबाँ अब्दुल हई Shayari, Couplets, Nazams and SMS. Biggest collection of Love Poetry, Sad poetry, Sufi Poetry & Inspirational Poetry by famous Poet ताबाँ अब्दुल हई. Free Download Best Couplets, Sufi Poetry, Two Lines Sher, Sad Poetry, written by Sufi Poet ताबाँ अब्दुल हई. ताबाँ अब्दुल हई Ghazals and Inspirational Nazams for Students.