फ़िराक़ गोरखपुरी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का फ़िराक़ गोरखपुरी (page 4)
नाम | फ़िराक़ गोरखपुरी |
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अंग्रेज़ी नाम | Firaq Gorakhpuri |
जन्म की तारीख | 1896 |
मौत की तिथि | 1982 |
रात भी नींद भी कहानी भी
क़ुर्ब ही कम है न दूरी ही ज़ियादा लेकिन
पर्दा-ए-लुत्फ़ में ये ज़ुल्म-ओ-सितम क्या कहिए
पाल ले इक रोग नादाँ ज़िंदगी के वास्ते
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीद
मेरी घुट्टी में पड़ी थी हो के हल उर्दू ज़बाँ
मज़हब की ख़राबी है न अख़्लाक़ की पस्ती
मौत का भी इलाज हो शायद
मंज़िलें गर्द के मानिंद उड़ी जाती हैं
मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बग़ैर
मैं हूँ दिल है तन्हाई है
मैं देर तक तुझे ख़ुद ही न रोकता लेकिन
माइल-ए-बेदाद वो कब था 'फ़िराक़'
लाई न ऐसों-वैसों को ख़ातिर में आज तक
लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है
क्या जानिए मौत पहले क्या थी
कुछ क़फ़स की तीलियों से छन रहा है नूर सा
कुछ न पूछो 'फ़िराक़' अहद-ए-शबाब
कोई समझे तो एक बात कहूँ
कोई आया न आएगा लेकिन
किसी की बज़्म-ए-तरब में हयात बटती थी
किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी
किस लिए कम नहीं है दर्द-ए-फ़िराक़
ख़ुद मुझ को भी ता-देर ख़बर हो नहीं पाई
खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही
ख़राब हो के भी सोचा किए तिरे महजूर
कौन ये ले रहा है अंगड़ाई
कमी न की तिरे वहशी ने ख़ाक उड़ाने में
कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं
कहाँ का वस्ल तन्हाई ने शायद भेस बदला है