शहज़ाद अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शहज़ाद अहमद (page 2)
नाम | शहज़ाद अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Shahzad Ahmad |
जन्म की तारीख | 1932 |
मौत की तिथि | 2012 |
जन्म स्थान | Lahore |
तुम्हारी आरज़ू में मैं ने अपनी आरज़ू की थी
तुम्हारी आँख में कैफ़िय्यत-ए-ख़ुमार तो है
तुम कहे जाते हो ऐसी फ़स्ल-ए-गुल आई नहीं
तुम ही क्या जज़्ब हो गए मुझ में
तुझ में कस-बल है तो दुनिया को बहा कर ले जा
तू कुछ भी हो कब तक तुझे हम याद करेंगे
तीरगी ही तीरगी हद्द-ए-नज़र तक तीरगी
ठहर गई है तबीअत इसे रवानी दे
तिरी तलाश तो क्या तेरी आस भी न रहे
तेरी क़ुर्बत में गुज़ारे हुए कुछ लम्हे हैं
तेरे सीने में भी इक दाग़ है तन्हाई का
तिरा मैं क्या करूँ ऐ दिल तुझे कुछ भी नहीं आता
तन्हाई में आ जाती हैं हूरें मिरे घर में
तमाम उम्र हवा फांकते हुए गुज़री
तलाश करनी थी इक रोज़ अपनी ज़ात मुझे
टकराता है सर फोड़ता है सारा ज़माना
तख़्ता-ए-दार पे चाहे जिसे लटका दीजे
सुपुर्दगी का वो लम्हा कभी नहीं गुज़रा
सितारे इस क़दर देखे कि आँखें बुझ गईं अपनी
सीने में बे-क़रार हैं मुर्दा मोहब्बतें
शुमार मैं न करूँगा फ़िराक़ के शब ओ रोज़
शायद लोग इसी रौनक़ को गर्मी-ए-महफ़िल कहते हैं
शायद इसी बाइस हुईं पत्थर मिरी आँखें
शौक़-ए-सफ़र बे-सबब और सफ़र बे-तलब
शम्अ जलते ही यहाँ हश्र का मंज़र होगा
शक अपनी ही ज़ात पे होने लगता है
शहर को छोड़ के वीरानों में आबाद तो हो
शब की तन्हाइयों में याद उस की
शब ढल गई और शहर में सूरज निकल आया
सेहर लगता है पसीने में नहाया हुआ जिस्म