शहज़ाद अहमद कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का शहज़ाद अहमद (page 5)
नाम | शहज़ाद अहमद |
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अंग्रेज़ी नाम | Shahzad Ahmad |
जन्म की तारीख | 1932 |
मौत की तिथि | 2012 |
जन्म स्थान | Lahore |
जहाँ में हम ने किसी से भी खुल के बात न की
जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया
जब चल पड़े तो बर्क़ की रफ़्तार से चले
इस राह से गुज़रे थे कभी अहल-ए-नज़र भी
इस क़दर तेज़ न चल साँस उखड़ जाएगा
इस आस पे सैलाब के सीने पे रवाँ हूँ
हुज़ूर-ए-हुस्न ये दिल कासा-ए-गदाई है
हुस्न बाज़ार की ज़ीनत है मगर है तो सही
हम जो दस्तक कभी देते थे सबा की मानिंद
हम दो क़दम भी चल न सके ख़ाक-ए-पा हुए
हम अपने हाल पर ख़ुद रो दिए हैं
हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ाएब
हौसला है तो सफ़ीनों के अलम लहराओ
हर तरफ़ फैली हुई थी रौशनी ही रौशनी
हर दम तिरी शबीह थी आँखों के सामने
हमारे शहर में है वो गुरेज़ का आलम
हमारे पेश-ए-नज़र मंज़िलें कुछ और भी थीं
हैराँ हूँ हासिदों को पता कैसे चल गया
गुज़रने ही न दी वो रात मैं ने
गुज़र ही जाएगी 'शहज़ाद' जो गुज़रनी है
गोशा-ए-दिल की ख़मोशी का तमन्नाई मैं
घबरा के आसमाँ की तरफ़ देखती थी ख़ल्क़
फ़लक से घूरती हैं मुझ को बे-शुमार आँखें
एक से मंज़र देख देख कर आँखें दुखने लगती हैं
एक लम्हे में कटा है मुद्दतों का फ़ासला
इक आग फिर भड़क उट्ठी है दीदा ओ दिल में
दूर से देख के मैं ने उसे पहचान लिया
दुनिया में अंधेरों के सिवा और रहा क्या
डूब जाता है दमकता हुआ सूरज लेकिन
दीवार किस तरफ़ से बढ़े कुछ ख़बर नहीं