Coupletss of Waheed Akhtar

Coupletss of Waheed Akhtar
नामवहीद अख़्तर
अंग्रेज़ी नामWaheed Akhtar
जन्म की तारीख1935
मौत की तिथि1996
जन्म स्थानAligarh

ज़ेर-ए-पा अब न ज़मीं है न फ़लक है सर पर

याद आई न कभी बे-सर-ओ-सामानी में

उम्र भर मिलते रहे फिर भी न मिलने पाए

तू ग़ज़ल बन के उतर बात मुकम्मल हो जाए

ठहरी है तो इक चेहरे पे ठहरी रही बरसों

नींद बन कर मिरी आँखों से मिरे ख़ूँ में उतर

मिरी उड़ान अगर मुझ को नीचे आने दे

मस्जिद हो मदरसा हो कि मज्लिस कि मय-कदा

माँगने वालों को क्या इज़्ज़त ओ रुस्वाई से

लेते हैं तिरा नाम ही यूँ जागते सोते

किरनों से तराशा हुआ इक नूर का पैकर

ख़ुश्क आँखों से उठी मौज तो दुनिया डूबी

जो सुनना चाहो तो बोल उट्ठेंगे अँधेरे भी

हज़ारों साल सफ़र कर के फिर वहीं पहुँचे

हर एक लम्हा किया क़र्ज़ ज़िंदगी का अदा

इक दश्त-ए-बे-अमाँ का सफ़र है चले-चलो

दश्त की उड़ती हुई रेत पे लिख देते हैं लोग

बुत बनाने पूजने फिर तोड़ने के वास्ते

बिछड़े हुए ख़्वाब आ के पकड़ लेते हैं दामन

बे-बरसे गुज़र जाते हैं उमडे हुए बादल

बाम ओ दर ओ दीवार को ही घर नहीं कहते

अँधेरा इतना नहीं है कि कुछ दिखाई न दे

अब्र आँखों से उठे हैं तिरा दामन मिल जाए

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