Coupletss of Zafar Iqbal (page 5)
नाम | ज़फ़र इक़बाल |
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अंग्रेज़ी नाम | Zafar Iqbal |
जन्म की तारीख | 1933 |
जन्म स्थान | Okara, Pakistan |
दर-ए-उमीद से हो कर निकलने लगता हूँ
चूमने के लिए थाम रख्खूँ कोई दम वो हाथ
चेहरे से झाड़ पिछले बरस की कुदूरतें
चपातियाँ थीं बंधी पेट पर मगर शब-भर
बुझा नहीं मिरे अंदर का आफ़्ताब अभी
बुढ़ापे से अगली ये मंज़िल है कोई
भरी रहे अभी आँखों में उस के नाम की नींद
बाज़ार-ए-बोसा तेज़ से है तेज़-तर 'ज़फ़र'
बस एक बार किसी ने गले लगाया था
बारिश की बहुत तेज़ हवा में कहीं मुझ को
बाहर से चट्टान की तरह हूँ
बदन का सारा लहू खिंच के आ गया रुख़ पर
बात मुझ में भी कुछ इस तरह की होगी जो यहाँ
अपनी ये शान-ए-बग़ावत कोई देखे आ कर
अपनी मर्ज़ी से भी हम ने काम कर डाले हैं कुछ
अपने सोए हुए सूरज की ख़बर ले जा कर
अपने ही सामने दीवार बना बैठा हूँ
अंदर का ज़हर-नाक अँधेरा ही था बहुत
अभी मेरी अपनी समझ में भी नहीं आ रही
अब उस की दीद मोहब्बत नहीं ज़रूरत है
अब के इस बज़्म में कुछ अपना पता भी देना
आँखों में राख डाल के निकला हूँ सैर को
आँख के एक इशारे से किया गुल उस ने
आख़िर 'ज़फ़र' हुआ हूँ मंज़र से ख़ुद ही ग़ाएब
आज कल उस की तरह हम भी हैं ख़ाली ख़ाली
आगे बढ़ूँ तो ज़र्द घटा मेरे रू-ब-रू
आबा तो 'ज़फ़र' नहीं थे ऐसे