Coupletss of Zafar Iqbal (page 4)

Coupletss of Zafar Iqbal (page 4)
नामज़फ़र इक़बाल
अंग्रेज़ी नामZafar Iqbal
जन्म की तारीख1933
जन्म स्थानOkara, Pakistan

जिसे दरवाज़ा कहते थे वही दीवार निकली

जिसे अब तक तलाश करता हूँ

जिस का इंकार हथेली पे लिए फिरता हूँ

जिधर से खोल के बैठे थे दर अंधेरे का

झूट बोला है तो क़ाएम भी रहो उस पर 'ज़फ़र'

जैसी अब है ऐसी हालत में नहीं रह सकता

जहाँ से कुछ न मिले हुस्न-ए-माज़रत के सिवा

जब नज़ारे थे तो आँखों को नहीं थी परवा

इतना मानूस भी होने की ज़रूरत क्या थी

इश्क़ उदासी के पैग़ाम तो लाता रहता है दिन रात

इसे भी 'ज़फ़र' मेरी हिम्मत ही समझो

इस तरह भी चला है कभी कारोबार-ए-शौक़

इस बार मिली है जो नतीजे में बुराई

इंकिसारी में मिरा हुक्म भी जारी था 'ज़फ़र'

हुस्न उस का उसी मक़ाम पे है

हम पे दुनिया हुई सवार 'ज़फ़र'

हम इतनी रौशनी में देख भी सकते नहीं उस को

हवा शाख़ों में रुकने और उलझने को है इस लम्हे

हवा के साथ जो इक बोसा भेजता हूँ कभी

हाथ पैर आप ही मैं मार रहा हूँ फ़िलहाल

हर नया ज़ाइक़ा छोड़ा है जो औरों के लिए

हर बार मदद के लिए औरों को पुकारा

हमारा इश्क़ रवाँ है रुकावटों में 'ज़फ़र'

एक ना-मौजूदगी रह जाएगी चारों तरफ़

इक लहर है कि मुझ में उछलने को है 'ज़फ़र'

इक दूर के सफ़र पे रवाना भी हूँ 'ज़फ़र'

एक दिन सुब्ह जो उट्ठें तो ये दुनिया ही न हो

इक धूप सी तनी हुई बादल के आर-पार

दिन चढ़े होना न होना एक सा रह जाएगा

दिल से बाहर निकल आना मिरी मजबूरी है

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