Coupletss of Zafar Iqbal (page 3)

Coupletss of Zafar Iqbal (page 3)
नामज़फ़र इक़बाल
अंग्रेज़ी नामZafar Iqbal
जन्म की तारीख1933
जन्म स्थानOkara, Pakistan

मौत के साथ हुई है मिरी शादी सो 'ज़फ़र'

मैं ज़ियादा हूँ बहुत उस के लिए अब तक भी

मैं किसी और ज़माने के लिए हूँ शायद

मैं डूबता जज़ीरा था मौजों की मार पर

मैं बिखर जाऊँगा ज़ंजीर की कड़ियों की तरह

मैं भी कुछ देर से बैठा हूँ निशाने पे 'ज़फ़र'

मैं अंदर से कहीं तब्दील होना चाहता था

लम्बी तान के सो जा और

लगता है इतना वक़्त मिरे डूबने में क्यूँ

लगी थी जान की बाज़ी बिसात उलट डाली

लगाता फिर रहा हूँ आशिक़ों पर कुफ़्र के फ़तवे

क्या ख़बर जिस का यहाँ इतना उड़ाते हैं मज़ाक़

कुफ़्र से ये जो मुनव्वर मिरी पेशानी है

कोई इस बात को तस्लीम करे या न करे

किस ताज़ा मारके पे गया आज फिर 'ज़फ़र'

किरदार उस को ढूँडते फिरते हैं जा-ब-जा

ख़ुशी मिली तो ये आलम था बद-हवासी का

खुल के रो भी सकूँ और हँस भी सकूँ जी भर के

ख़ुदा को मान कि तुझ लब के चूमने के सिवा

खींच लाई है यहाँ लज़्ज़त-ए-आज़ार मुझे

ख़राबी हो रही है तो फ़क़त मुझ में ही सारी

ख़ामुशी अच्छी नहीं इंकार होना चाहिए

ख़ैरात का मुझे कोई लालच नहीं 'ज़फ़र'

करता हूँ नींद में ही सफ़र सारे शहर का

कैसा है कौन ये तो नज़र आ सके कहीं

कैफ़ियत ही कोई पानी ने बदल ली हो कहीं

कहाँ तक हो सका कार-ए-मोहब्बत क्या बताएँ

कहाँ चली गईं कर के ये तोड़-फोड़ 'ज़फ़र'

कब वो ज़ाहिर होगा और हैरान कर देगा मुझे

जो यहाँ ख़ुद ही लगा रक्खी है चारों जानिब

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