एहसान दानिश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का एहसान दानिश (page 2)
नाम | एहसान दानिश |
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अंग्रेज़ी नाम | Ehsan Danish |
जन्म की तारीख | 1915 |
मौत की तिथि | 1982 |
जन्म स्थान | Pakistan |
तुम सादा-मिज़ाजी से मिटे फिरते हो जिस पर
सुनता हूँ सुरंगों थे फ़रिश्ते मिरे हुज़ूर
शोरिश-ए-इश्क़ में है हुस्न बराबर का शरीक
सता लो मुझे ज़िंदगी में सता लो
रहता नहीं इंसान तो मिट जाता है ग़म भी
न जाने मोहब्बत का अंजाम क्या है
मरने वाले फ़ना भी पर्दा है
मक़्सद-ए-ज़ीस्त ग़म-ए-इश्क़ है सहरा हो कि शहर
मैं जिस रफ़्तार से तूफ़ाँ की जानिब बढ़ता जाता हूँ
मैं हैराँ हूँ कि क्यूँ उस से हुई थी दोस्ती अपनी
लोग यूँ देख के हँस देते हैं
कुछ लोग जो सवार हैं काग़ज़ की नाव पर
कुछ अपने साज़-ए-नफ़स की न क़द्र की तू ने
किसे ख़बर थी कि ये दौर-ए-ख़ुद-ग़रज़ इक दिन
किस किस की ज़बाँ रोकने जाऊँ तिरी ख़ातिर
ख़ाक से सैंकड़ों उगे ख़ुर्शीद
कौन देता है मोहब्बत को परस्तिश का मक़ाम
हुस्न को दुनिया की आँखों से न देख
हम हक़ीक़त हैं तो तस्लीम न करने का सबब
हम चटानें हैं कोई रेत के साहिल तो नहीं
हाँ आप को देखा था मोहब्बत से हमीं ने
फ़ुसून-ए-शेर से हम उस मह-ए-गुरेज़ाँ को
'एहसान' अपना कोई बुरे वक़्त का नहीं
'एहसान' ऐसा तल्ख़ जवाब-ए-वफ़ा मिला
दिल की शगुफ़्तगी के साथ राहत-ए-मय-कदा गई
दमक रहा है जो नस नस की तिश्नगी से बदन
बला से कुछ हो हम 'एहसान' अपनी ख़ू न छोड़ेंगे
ब-जुज़ उस के 'एहसान' को क्या समझिए
और कुछ देर सितारो ठहरो
आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाज