नोमान शौक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नोमान शौक़ (page 3)
नाम | नोमान शौक़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Nomaan Shauque |
जन्म की तारीख | 1965 |
जन्म स्थान | Delhi |
फ़क़ीर लोग रहे अपने अपने हाल में मस्त
फ़लक का थाल ही हम ने उलट डाला ज़मीं पर
एक करवट पे रात क्या कटती
एक दिन दोनों ने अपनी हार मानी एक साथ
दूर जितना भी चला जाए मगर
दिन को रुख़्सत किया बहाने से
दिल दे न दे मगर ये तिरा हुस्न-ए-बे-मिसाल
डर डर के जागते हुए काटी तमाम रात
चख लिया उस ने प्यार थोड़ा सा
चाहता हूँ मैं तशद्दुद छोड़ना
चाहता हूँ कि पुकारे तुम्हें दिन रात जहाँ
बस तिरे आने की इक अफ़्वाह का ऐसा असर
बड़े घरों में रही है बहुत ज़माने तक
बदन ने कितनी बढ़ा ली है सल्तनत अपनी
और मत देखिए अब अद्ल-ए-जहाँगीर के ख़्वाब
अपनी आहट पे चौंकता हूँ मैं
ऐसी ही एक शब में किसी से मिला था दिल
अब इसे ग़र्क़ाब करने का हुनर भी सीख लूँ
आसमानों से ज़मीं की तरफ़ आते हुए हम
आँख खुल जाए तो घर मातम-कदा बन जाएगा
आइने का सामना अच्छा नहीं है बार बार
तक़वा
सड़क के दोनों तरफ़ ख़ैरियत है
पेश लफ़्ज़ एक मोहब्बत नामे का
मुझे कुछ याद आता है
फ़्रीज़र में रक्खी शाम
कथार्सिस
भीक
अपनी मर्ज़ी के ख़िलाफ़
अच्छा इश्क़