नोमान शौक़ कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नोमान शौक़ (page 2)
नाम | नोमान शौक़ |
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अंग्रेज़ी नाम | Nomaan Shauque |
जन्म की तारीख | 1965 |
जन्म स्थान | Delhi |
मोहब्बत वाले हैं कितने ज़मीं पर
मिरी ख़ुशियों से वो रिश्ता है तुम्हारा अब तक
मिरा कुछ रास्ते में खो गया है
मौसम-ए-वज्द में जा कर मैं कहाँ रक़्स करूँ
मैं ख़ानक़ाह-ए-बदन से उदास लौट आया
मैं अपने साए में बैठा था कितनी सदियों से
मैं अगर तुम को मिला सकता हूँ महर-ओ-माह से
लिपटा भी एक बार तो किस एहतियात से
कुछ न था मेरे पास खोने को
कोई समझाए मिरे मद्दाह को
किसी के साए किसी की तरफ़ लपकते हुए
किनारे पाँव से तलवार कर दी
ख़ुदा मुआफ़ करे सारे मुंसिफ़ों के गुनाह
खिल रहे हैं मुझ में दुनिया के सभी नायाब फूल
कैसी जन्नत के तलबगार हैं तू जानता है
कबूतरों में ये दहशत कहाँ से दर आई
कभी लिबास कभी बाल देखने वाले
जिज़्या वसूल कीजिए या शहर उजाड़िए
जान-ए-जाँ मायूस मत हो हालत-ए-बाज़ार से
इश्क़ में सच्चा था वो मेरी तरह
इश्क़ क्या है ख़ूबसूरत सी कोई अफ़्वाह बस
इश्क़ का मतलब किसे मालूम था
इस बार इंतिज़ाम तो सर्दी का हो गया
हम को डरा कर, आप को ख़ैरात बाँट कर
हम जैसों ने जान गँवाई पागल थे
हम भी माचिस की तीलियों से थे
हम बहुत पछताए आवाज़ों से रिश्ता जोड़ कर
हर मुत्तक़ी को इस से सबक़ लेना चाहिए
हमें बुरा नहीं लगता सफ़ेद काग़ज़ भी
ग़म इस क़दर नहीं थे ढले जितने शेर में